
भारत-पाक तनाव के कारण पाकिस्तान के शेयर बाजार में भारी गिरावट, निवेशकों में चिंता
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के शेयर बाजार पर भारी दबाव पड़ा है, और इस दौरान उसके बाजार की स्थिति काफी खराब हो गई है। 23 अप्रैल से 30 अप्रैल 2025 के बीच पाकिस्तान के शेयर बाजार, केएसई-100 इंडेक्स में 7100 अंकों की गिरावट देखी गई, जिसे भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के साथ जोड़ा जा रहा है। 30 अप्रैल को, केएसई-100 इंडेक्स में 3.09 प्रतिशत यानी 3545 अंकों की गिरावट आई, और यह 111,326.57 अंकों पर पहुंच गया। इस गिरावट का मुख्य कारण पाकिस्तान में लिस्टेड प्रमुख कंपनियों जैसे लक, यूबीएल, पीपीएल और एफईसी का खराब प्रदर्शन माना जा रहा है, जिन्होंने बाजार को और भी नीचे धकेल दिया। इन कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट आई, जो पूरी मार्केट को प्रभावित करने में सफल रही।
हालांकि, 2 मई को पाकिस्तान के शेयर बाजार में थोड़ी राहत की स्थिति देखने को मिली, जब केएसई-100 इंडेक्स में 2.5 प्रतिशत यानी 2785 अंकों की बढ़त आई, और यह 114,119 अंकों पर बंद हुआ। यह कुछ हद तक राहत का संकेत माना गया, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह रिकवरी स्थायी नहीं हो सकती। उनका कहना है कि पाकिस्तान के शेयर बाजार के लिए यह सुधार अस्थायी हो सकता है, और अगर भारत और पाकिस्तान के रिश्ते सामान्य नहीं होते या तनाव कम नहीं होता, तो पाकिस्तान के शेयर बाजार में फिर से गिरावट आ सकती है।
पाकिस्तान के शेयर बाजार के गिरते हालात भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते राजनीतिक और सैन्य तनाव को दर्शाते हैं। यह तनाव 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद और बढ़ गया, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
भारत ने सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया, दोनों देशों के राजनयिकों की संख्या को घटाया, और पाकिस्तान के नागरिकों को देश छोड़ने का अल्टीमेटम दिया। इसके साथ ही पाकिस्तान ने भी कई बार संघर्षविराम का उल्लंघन किया, और भारत ने इसका कड़ा जवाब दिया। इन घटनाओं के कारण दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा और इसके प्रभाव से पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति भी प्रभावित हुई।
इसके विपरीत, भारतीय शेयर बाजारों में पिछले दो महीनों के दौरान तेजी का रुख देखा गया है। भारतीय शेयर बाजारों में 2025 के शुरुआती महीनों में काफी सकारात्मक माहौल था। सेंसेक्स में 10 प्रतिशत से अधिक की बढ़ोतरी हुई, और भारतीय बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की मजबूत उपस्थिति भी देखने को मिली। एफआईआई ने भारतीय स्टॉक मार्केट में बड़े पैमाने पर निवेश किया, जो भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजार के लिए सकारात्मक संकेत था।
पाकिस्तान की बढ़ती आर्थिक परेशानियों और भारत के मजबूत आर्थिक प्रदर्शन के बीच, विशेषज्ञों का कहना है कि यदि दोनों देशों के रिश्ते सामान्य नहीं होते और तनाव बना रहता है, तो पाकिस्तान के शेयर बाजार में आगे और गिरावट हो सकती है, जिससे उसकी आर्थिक स्थिति और भी खराब हो सकती है। भारत की मजबूत आर्थिक स्थिति और विदेशों से आने वाला निवेश भारतीय बाजारों को एक स्थिर रुख प्रदान कर रहा है, जो पाकिस्तान के लिए चिंता का कारण बन सकता है।
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