'विरोध करो, बदनाम करो, फिर चुपचाप अपनाओ' – कांग्रेस का भाजपा पर तीखा हमला

कांग्रेस ने शुक्रवार (2 मई, 2025) को केंद्र सरकार के जाति जनगणना से जुड़े फैसले को उसकी "नीति विहीन और दबाव में झुकने वाली राजनीति" का हिस्सा बताया। पार्टी के संचार प्रमुख जयराम रमेश ने कहा कि यह सरकार हर बार एक ही पैटर्न दोहराती है—पहले विरोध, फिर बदनाम करना और अंत में उसी नीति को चुपचाप अपना लेना। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर जारी अपने बयान में रमेश ने लिखा, “मोदी सरकार के पास न कोई स्पष्ट दृष्टिकोण है, न समस्याओं के समाधान की दिशा। वह सिर्फ जनता का ध्यान भटकाने, असली मुद्दों से भागने और नफरत फैलाने की राजनीति में माहिर है। उनके पास न नीति है, न नीयत—सिर्फ झूठ और दुष्प्रचार।” उन्होंने दावा किया कि सरकार ने वर्षों तक जाति जनगणना को दबाने की कोशिश की, लेकिन विपक्ष और सामाजिक संगठनों की दृढ़ मांग के चलते उसे आखिरकार झुकना पड़ा।


जयराम रमेश ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जाति जनगणना का मामला कोई अपवाद नहीं है। भाजपा की रणनीति हमेशा यही रही है— पहले हर अच्छी योजना या नीति का मजाक उड़ाओ, फिर राजनीतिक मजबूरी में उसे अपनाकर श्रेय भी लेने की कोशिश करो। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा: मनरेगा को मोदी ने कभी "विफलता का स्मारक" कहा था, लेकिन महामारी के समय उसी योजना ने देश के गरीबों को संबल दिया। आधार को निजता का खतरा बताकर भाजपा ने विरोध किया, लेकिन सत्ता में आने के बाद उसे कल्याणकारी योजनाओं की रीढ़ बना दिया। जीएसटी को राज्यों के अधिकारों पर हमला बताकर विरोध किया गया, लेकिन फिर उसी रूप में लागू कर उसे "गेम चेंजर" कहा गया। डीबीटी और डिजिटल इंडिया भी कांग्रेस की पहलें थीं, जिनका भाजपा ने पहले मजाक उड़ाया और बाद में अपनी उपलब्धि बना लिया।

रमेश ने यह भी कहा कि महिलाओं को नकद सहायता देने की जो योजनाएं आज लागू हैं, उन्हें भी भाजपा ने पहले "लोकलुभावन घोषणाएं" कहकर खारिज किया था। युवा न्याय के अंतर्गत इंटर्नशिप योजना को भी भाजपा ने चुनाव के दौरान निशाना बनाया, लेकिन बाद में बजट में उसे शामिल कर लिया, हालांकि आज तक उसका क्रियान्वयन नहीं हुआ। कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि जाति जनगणना पर लिया गया फैसला भी "पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की मांग और पहलगाम आतंकी हमले जैसे गंभीर मुद्दों" से जनता का ध्यान हटाने की कोशिश है। उन्होंने सवाल किया: "जब सरकार ने घोषणा कर दी है, तो क्या जाति जनगणना के लिए कोई समयसीमा तय की गई है? क्या यह सिर्फ एक चुनावी स्टंट है?"

केंद्र सरकार ने बुधवार को घोषणा की कि अगली जनगणना में जाति आधारित जानकारी को शामिल किया जाएगा। यह निर्णय कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति ने लिया। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि चूंकि जनगणना केंद्र का विषय है, कुछ राज्यों द्वारा की गई जातिगत जनगणनाएं "गैर-पारदर्शी" रही हैं, जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हुई।

For all the political updates download our Molitics App : Click here to Download
Article