‘पहले पहचान, फिर फैसला, बिना सत्यापन निर्वासन नहीं'- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अहम आदेश जारी करते हुए अधिकारियों से कहा कि वे उस पाकिस्तानी परिवार के छह सदस्यों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई, जैसे उन्हें पाकिस्तान वापस भेजना, तब तक न करें जब तक उनके भारतीय पहचान पत्रों की सत्यापन प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती। इस आदेश से परिवार को तत्काल राहत मिली है, क्योंकि इससे पहले उन्हें वाघा बॉर्डर पर भेजने की तैयारी की जा रही थी। यह परिवार कश्मीर का निवासी है और उनका बेटा बेंगलुरु में काम करता है। पिछले दिनों पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, जिसमें 26 लोग मारे गए थे, भारत सरकार ने पाकिस्तान के नागरिकों के वीजा रद्द कर उन्हें वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू की थी।


इस संदर्भ में, इस परिवार के मामले को लेकर भी विवाद उत्पन्न हुआ था। सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह शामिल थे, ने इस मामले को मानवीय दृष्टिकोण से देखा और परिवार को यह अधिकार दिया कि यदि दस्तावेजों की सत्यापन प्रक्रिया से वे संतुष्ट नहीं होते, तो वे जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में अपील कर सकते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस मामले में कोई भी दंडात्मक कार्रवाई तब तक नहीं की जाएगी जब तक सत्यापन प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती। इससे पहले, परिवार ने दावा किया था कि उनके पास वैध भारतीय दस्तावेज हैं, फिर भी उन्हें हिरासत में लिया गया और पाकिस्तान भेजने के लिए वाघा सीमा पर ले जाया गया। 

कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार से जवाब मांगा है और कहा है कि परिवार के दस्तावेजों की सत्यापन प्रक्रिया पूरी की जाए। यह आदेश ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में तनाव बढ़ा है, विशेष रूप से पहलगाम हमले के बाद। इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान के नागरिकों के वीजा रद्द कर उन्हें वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू की थी।

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