नेशनल हेराल्ड केस: सोनिया गांधी और राहुल गांधी को दिल्ली कोर्ट से नोटिस, अगली सुनवाई 7 मई को

दिल्ली की एक विशेष अदालत ने नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी और पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को नोटिस जारी किया है। अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दाखिल आरोपपत्र पर संज्ञान लेते हुए कहा कि आरोपियों को अपना पक्ष रखने का अधिकार मिलना चाहिए क्योंकि यह निष्पक्ष न्याय प्रक्रिया का मूल आधार है। विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने आदेश दिया कि दोनों नेताओं को नोटिस आज शाम तक भेजे जाएं। इस मामले की अगली सुनवाई 7 मई 2025 को होगी। यह मामला 2012 में भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर की गई एक आपराधिक शिकायत से शुरू हुआ था। मामला नेशनल हेराल्ड नामक अखबार, इसके प्रकाशक एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड और यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड से जुड़ा हुआ है। नेशनल हेराल्ड की स्थापना 1938 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने की थी और यह अखबार स्वतंत्रता संग्राम का प्रमुख माध्यम माना जाता था। 


 स्वामी का आरोप है कि कांग्रेस ने एजेएल को 90.21 करोड़ रुपये का ब्याज रहित ऋण दिया, जिसे कभी चुकाया नहीं गया। 2010 में यह ऋण यंग इंडियन नामक एक निजी कंपनी को मात्र 50 लाख रुपये में स्थानांतरित कर दिया गया, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी की संयुक्त हिस्सेदारी 76 प्रतिशत थी। इसके बाद यंग इंडियन को एजेएल की 99 प्रतिशत हिस्सेदारी मिल गई, जिससे वह उसकी संपत्तियों पर पूर्ण नियंत्रण प्राप्त कर सका। इन संपत्तियों का कुल अनुमानित मूल्य 2,000 करोड़ रुपये से अधिक बताया गया है। प्रवर्तन निदेशालय का कहना है कि यंग इंडियन को चैरिटेबल उद्देश्य के लिए स्थापित किया गया था लेकिन इसने कोई सामाजिक कार्य नहीं किया। 

इसके बजाय इसे केवल एजेएल की संपत्तियों पर कब्जा करने के लिए एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल किया गया। एजेंसी ने अप्रैल 2025 में चार्जशीट दाखिल की जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी को क्रमशः आरोपी नंबर एक और दो के रूप में नामित किया गया। कांग्रेस पार्टी इस मामले को राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई बताते हुए लगातार यह कहती रही है कि जांच एजेंसियों का इस्तेमाल सरकार द्वारा विपक्ष को दबाने के लिए किया जा रहा है। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह मुकदमा गांधी परिवार की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने और कांग्रेस को कमजोर करने का एक सुनियोजित प्रयास है। यह मामला न केवल कानूनी दृष्टि से, बल्कि राजनीतिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण बन गया है। सोनिया और राहुल गांधी जैसे प्रमुख नेताओं पर गंभीर आपराधिक आरोपों के चलते आगामी राजनीतिक समीकरणों पर असर पड़ना तय माना जा रहा है। अब अदालत की अगली सुनवाई में यह देखा जाएगा कि न्यायालय इस मामले में क्या अगला कदम उठाता है।

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