कथित पाकिस्तानी नागरिक बोले- हम भारतीय हैं, कोर्ट ने कहा- अभी नहीं भेज सकते

22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने देश में रह रहे सभी पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द कर दिए हैं और उन्हें भारत छोड़ने का निर्देश दिया गया है। इस फैसले के बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम आदेश जारी करते हुए भारत में रह रहे छह कथित पाकिस्तानी नागरिकों की देश से वापसी पर फिलहाल रोक लगा दी है। याचिकाकर्ताओं की दलील है कि वे भारतीय नागरिक हैं और उनके पास वैध भारतीय पासपोर्ट तथा आधार कार्ड हैं।

 

याचिकाकर्ता अहमद तारिक बट्ट और उनके परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। उनका कहना है कि उन्हें अवैध रूप से वाघा बॉर्डर के रास्ते देश से बाहर भेजा जा रहा है, जबकि वे भारतीय नागरिक हैं। उनके वकील नंद किशोर ने कोर्ट में कहा, “यह चौंकाने वाला मामला है। हमें सीमा पर हिरासत में लिया गया है। हमारे पास वैध भारतीय पासपोर्ट और आधार कार्ड हैं। हमें बिना उचित प्रक्रिया के देश छोड़ने का नोटिस दिया गया है।” 


याचिका के मुताबिक, अहमद तारिक बट्ट का परिवार मूल रूप से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के मीरपुर का रहने वाला था। वर्ष 2000 में पूरा परिवार श्रीनगर आ गया और तब से भारत में ही रह रहा है। फिलहाल अहमद बट्ट बंगलुरू में रहते हैं और एक आईटी कंपनी में कार्यरत हैं। वे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM), कोझिकोड से स्नातक हैं। परिवार में उनकी बहन आयशा तारिक, भाई अबुबकर तारिक और उमर तारिक बट्ट भी शामिल हैं। याचिका में दावा किया गया है कि सभी के पास भारतीय पासपोर्ट हैं और दस्तावेज़ों में जन्म स्थान श्रीनगर दर्ज है।


सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल ने दलील दी कि इस तरह के मामलों में निर्णय उचित प्रशासनिक अधिकारी ही ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता अपनी बात संबंधित अथॉरिटी के समक्ष रखें। सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया कि वे अपने दस्तावेजों और नागरिकता से जुड़ी मांग उचित सरकारी विभागों के सामने रखें। फिलहाल कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है, यानी याचिकाकर्ताओं को फिलहाल देश से बाहर नहीं भेजा जाएगा।

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