प्रधानमंत्री मोदी ने तिरुवनंतपुरम में किया विझिनजम बंदरगाह का उद्घाटन, राजनीतिक ताने मारने से भी नहीं चूंके

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को केरल के तिरुवनंतपुरम में विझिनजम इंटरनेशनल सीपोर्ट के पहले चरण का उद्घाटन किया। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम में उनके साथ केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और कांग्रेस सांसद शशि थरूर भी उपस्थित थे। इस अवसर पर पीएम ने कहा कि यह बंदरगाह भारत के समुद्री व्यापार और आर्थिक विकास के नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। उद्घाटन के बाद मोदी ने मुख्यमंत्री विजयन को विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ का ‘‘मजबूत स्तंभ’’ करार देते हुए कहा कि वह और मंच पर मौजूद शशि थरूर, जो तिरुवनंतपुरम सीट से कांग्रेस के सांसद हैं, इस समारोह से कई विपक्षी नेताओं की नींद हराम कर देंगे। प्रधानमंत्री ने विपक्ष को निशाने पर लेते हुए कहा, “मैं मुख्यमंत्री जी से कहना चाहता हूं कि आप ‘INDIA’ गठबंधन का एक मजबूत स्तंभ हैं, और शशि थरूर जी भी यहां बैठे हैं। आज का यह कार्यक्रम बहुतों की नींद उड़ा देगा।” 


हालांकि, उनके भाषण का अनुवाद करने वाले व्यक्ति ने इस बात का सही रूप से अनुवाद नहीं किया, जिस पर मोदी को यह स्पष्ट करना पड़ा कि ‘‘संदेश उन तक पहुंच गया है, जिन तक पहुंचाना था।’’ यह बंदरगाह परियोजना अडानी समूह द्वारा विकसित की गई है, जो भारत के प्रमुख औद्योगिक और व्यापारिक समूहों में से एक है। यह परियोजना सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर बनाई गई है, और इसमें शामिल अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड (APSEZ) ने इस पूरे कार्य को अंजाम दिया है। यह भारत का पहला गहरे पानी वाला ट्रांसशिपमेंट पोर्ट है, जिसकी अनुमानित लागत लगभग 8,867 करोड़ रुपये है। इस परियोजना का उद्देश्य भारत के समुद्री व्यापार को नई दिशा देना और वैश्विक स्तर पर देश की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को बढ़ावा देना है। दिसंबर 2024 में इस बंदरगाह के वाणिज्यिक संचालन की मंजूरी मिली है, और यह सक्रियता के साथ काम करने को तैयार है। इस बंदरगाह के शुरू होने से भारत को वैश्विक समुद्री व्यापार में नई मजबूती मिलने की उम्मीद है। यह रणनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है, जो देश की विदेशी बंदरगाहों पर निर्भरता को कम करने में सहायक होगा। मोदी ने कहा कि इस परियोजना के माध्यम से भारत की समुद्री क्षमता में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है। पिछले दस वर्षों में देश के बंदरगाहों की क्षमता दोगुनी हो गई है, और उनकी दक्षता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। 

‘टर्नअराउंड’ समय में लगभग 30 प्रतिशत की कमी आई है, यानी जहाजों का आगमन और प्रस्थान दोनों तेजी से हो रहे हैं, जिससे व्यापार की गति बढ़ी है। प्रधानमंत्री ने बताया कि इस परियोजना में 8,800 करोड़ रुपये का निवेश किया गया है और निकट भविष्य में इसकी ट्रांसशिपमेंट क्षमता तीन गुना तक बढ़ाई जाएगी। उन्होंने कहा, “यह बड़े मालवाहक जहाजों को आसानी से समायोजित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो भारत के व्यापारिक हितों के लिए अत्यंत आवश्यक है। अब तक, भारत की लगभग 75 प्रतिशत ट्रांसशिपमेंट गतिविधि विदेशी बंदरगाहों पर होती थी, जिसके कारण देश को राजस्व का बड़ा नुकसान होता था। अब, इस स्थिति में बदलाव आएगा, और हम अपने ही बंदरगाहों का लाभ उठाकर आर्थिक लाभ हासिल करेंगे। इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि होगी और घरेलू उद्योगों को भी नई ऊर्जा मिलेगी।’’ मोदी ने यह भी कहा कि इस बंदरगाह की शुरुआत का मतलब है कि अब विदेशों में खर्च होने वाले धन को भारत में ही लगाया जाएगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से केरल और देश के अन्य भागों के स्थानीय लोगों को नए रोजगार अवसर मिलेंगे, और क्षेत्र का आर्थिक विकास तेज होगा। उन्होंने यह भी तंज कसा कि गुजरात के लोगों को शायद निराशा होगी जब वे जानेंगे कि इतना बड़ा बंदरगाह बनाने का श्रेय अदानी समूह के चेयरमैन गौतम अडानी को जाता है, जो पश्चिम भारत से हैं। 

साथ ही, उन्होंने यह भी टिप्पणी की कि वामपंथी सरकार के मंत्री वी. एन. वासवन का अदानी समूह को साझेदार बताना देश में हो रहे बदलावों का प्रतीक है, जो भारत की नई आर्थिक दिशा का संकेत है। प्रधानमंत्री ने ऐतिहासिक संदर्भ में कहा कि गुलामी और उपनिवेशवाद के समय से पहले भारत एक समृद्ध और शक्तिशाली देश था। उन्होंने बताया कि उस समय भारत का वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में महत्वपूर्ण हिस्सा था, और इसकी समुद्री क्षमताएं दुनिया में प्रसिद्ध थीं। भारत के बंदरगाह शहर व्यापार और आर्थिक गतिविधियों का केंद्र थे, जिन्होंने देश को आर्थिक संपन्नता दी। विशेष रूप से, केरल ने इस सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। केरल की समृद्धि और उसकी समुद्री परंपरा ने भारतीय व्यापार को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। उन्होंने कहा कि भारत हजारों साल पहले भी वैश्विक आर्थिक पटल पर महत्वपूर्ण था, और उसकी समुद्री ताकतें, बंदरगाह और व्यापारिक केंद्र उसकी समृद्धि के आधार थे। उस समय, भारत का प्रभाव पूरे विश्व में फैला था। केरल जैसे राज्यों ने अपने समृद्ध बंदरगाहों और आर्थिक गतिविधियों के माध्यम से देश की इस प्रतिष्ठा को बनाए रखा। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि आज भी भारत की समुद्री क्षमता और रणनीतिक स्थान का सदुपयोग देश के आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है। मोदी ने कहा कि आज का भारत अपनी पुरानी समृद्धि को फिर से हासिल करने और वैश्विक स्तर पर अपनी ताकत दिखाने के लिए प्रतिबद्ध है, और यह बंदरगाह जैसे प्रोजेक्ट इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

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