
आतंकवादी हमले का असर: करतारपुर कॉरिडोर पर श्रद्धालुओं की संख्या में आई गिरावट
पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले का गहरा असर करतारपुर कॉरिडोर के माध्यम से गुरु नानक देव जी से जुड़े गुरुद्वारे श्री दरबार साहिब के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं पर भी पड़ा है। इस जघन्य घटना के कारण श्री दरबार साहिब जाने वालों की संख्या में लगभग 50 प्रतिशत तक की भारी गिरावट देखी गई है। यह गुरुद्वारा पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के नारोवाल जिले में स्थित है, जहां गुरु नानक का निधन हुआ था और उनकी स्मृति में ही इस पवित्र स्थान का निर्माण किया गया है। 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 पर्यटकों को आतंकियों ने धर्म पूछकर निर्दयता से मार डाला था। इस जघन्य घटना के बाद भारत सरकार ने तुरंत ही अपने कदम उठाते हुए सिंधु जल समझौते को रद्द कर दिया, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया। इसके अलावा, कूटनीतिक संबंधों को डाउनग्रेड कर पाकिस्तान के भारतीय राजनयिकों की संख्या भी कम कर दी गई।
इस घटना के तुरंत बाद भारत ने अटारी-वाघा बॉर्डर को भी बंद कर दिया था। हालांकि, दोनों देशों ने करतारपुर कॉरिडोर को बंद करने का कोई कदम नहीं उठाया, फिर भी इस सीमावर्ती धार्मिक स्थल पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में अत्यंत कमी आई है। यह गुरुद्वारा पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक से महज 4.5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जो श्रद्धालुओं के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। आतंकी हमले के तुरंत बाद, करीब 408 श्रद्धालु सीमा पार कर चुके थे, लेकिन जैसे-जैसे समय बीता, इनकी संख्या में लगातार गिरावट देखी गई। 24 अप्रैल को, जब सीमा पार करने की अनुमति 493 श्रद्धालुओं को मिली थी, तो केवल 333 ही गुरुद्वारे तक पहुंचे। अगले दिन यह संख्या घटकर 308 रह गई। 26 अप्रैल को यह संख्या सिर्फ 208 रह गई, फिर 27 अप्रैल को 239 और 28 अप्रैल को मात्र 133 श्रद्धालु ही गुरुद्वारे पहुंचे। डेरा बाबा नानक में रहने वाले बाबा सुखदीप सिंह बेदी ने इस स्थिति को सामान्य बताते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच तनाव और अस्थिरता की वजह से लोग यात्रा से बचना चाहते हैं। उन्होंने कहा, "यह स्वाभाविक है कि लोग डर रहे हैं, लेकिन फिर भी कुछ श्रद्धालु अपनी धार्मिक आस्था के कारण यात्रा कर रहे हैं।" उन्होंने यह भी बताया कि इस कॉरिडोर पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए एक सख्त प्रोटोकॉल है और दोनों देशों की तरफ से इसका कठोरता से पालन किया जा रहा है। वहीं, एसजीपीसी के सचिव प्रताप सिंह ने कहा कि सिख समुदाय को अपनी यात्रा रद्द नहीं करनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें भयभीत होने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि सुरक्षा के पूरी व्यवस्था की गई है। सीमा के दोनों ओर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं और प्रशासन इस दिशा में पूरी सतर्कता से कार्य कर रहा है।
इस कॉरिडोर की शुरुआत 9 नवंबर, 2019 को हुई थी, जब गुरु नानक का 550वां प्रकाश उत्सव मनाया गया था, और इस आयोजन का उद्देश्य दोनों देशों के बीच भाईचारे और धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देना था। वर्तमान में, हालांकि, आतंकवादी घटनाओं और राजनीतिक तनाव के कारण श्रद्धालुओं की संख्या में भारी गिरावट आई है, लेकिन यह स्थल अपनी धार्मिक महत्ता और ऐतिहासिक महत्व को बनाए रखता है। श्रद्धालु अपनी धार्मिक यात्रा के प्रति अपने दृढ़ विश्वास और आस्था के साथ इस मार्ग पर आते रहते हैं, और सुरक्षा के पूरे इंतजाम होने के बावजूद, उनके मन में इस घटना का प्रभाव स्थायी रूप से बना हुआ है।
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