
आतंक के खिलाफ भारत को मिला अमेरिका का साथ, देगा समुद्री निगरानी हथियार, पाकिस्तान चिंतित
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंधों में और भी अधिक तल्खी आ गई है। इस हमले में कुल 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए, जिनमें कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे। भारत सरकार ने इस हमले को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों की साजिश बताया है, जिससे दोनों देशों के बीच पहले से तनावपूर्ण संबंध और अधिक बिगड़ गए हैं। इस घटना के बाद सीमा पर सीजफायर के उल्लंघन की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। पाकिस्तानी सेना की ओर से की जा रही गोलीबारी का भारतीय सेना प्रभावी और मुंहतोड़ जवाब दे रही है। ऐसे संवेदनशील समय में अमेरिका की भूमिका काफी अहम हो गई है।
वाशिंगटन ने इस क्षेत्र में शांति बनाए रखने के उद्देश्य से न केवल कूटनीतिक स्तर पर हस्तक्षेप किया है, बल्कि भारत को सामरिक सहायता प्रदान करने की भी घोषणा की है। अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत को इंडो-पैसिफिक मैरीटाइम डोमेन अवेयरनेस कार्यक्रम और उससे जुड़े उपकरणों की संभावित बिक्री को मंजूरी दे दी है। इस सैन्य सौदे की कुल अनुमानित लागत 131 मिलियन अमेरिकी डॉलर है। इसके तहत भारत को सी-विजन सॉफ्टवेयर, तकनीकी सहायता, प्रशिक्षण, विश्लेषणात्मक समर्थन और रणनीतिक दस्तावेज़ों तक पहुंच प्राप्त होगी।
अमेरिकी रक्षा सुरक्षा सहयोग एजेंसी (DSCA) ने इस सौदे को लेकर आवश्यक कानूनी प्रक्रियाएं पूरी कर ली हैं और भारत सरकार को सूचना देकर जरूरी प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया है। अमेरिका का कहना है कि यह निर्णय भारत और अमेरिका के बीच सामरिक साझेदारी को और मजबूत करेगा। अमेरिका ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह सहयोग भारत को समुद्री खतरों से निपटने में और क्षेत्रीय सुरक्षा को बनाए रखने में मदद करेगा।
इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से अलग-अलग फोन पर बातचीत की। रुबियो ने दोनों नेताओं से संयम बरतने और तनाव को बढ़ाने वाली कार्रवाइयों से बचने की अपील की। उन्होंने पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले की निंदा करते हुए भारत को हरसंभव सहयोग देने का आश्वासन दिया। बातचीत में जयशंकर ने स्पष्ट किया कि भारत इस हमले के दोषियों को न्याय के कठघरे में लाकर ही दम लेगा और उन सभी को सजा दिलाई जाएगी जो इस हमले में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हैं।
पाकिस्तान की तरफ से भी अमेरिका को यह भरोसा दिलाने की कोशिश की गई है कि वह हमले की निष्पक्ष जांच में सहयोग करेगा।
हालांकि भारत का रुख स्पष्ट है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कोई समझौता नहीं होगा। पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है, और अमेरिका की इस नई पहल से यह दबाव और तेज हो सकता है।
अमेरिका द्वारा भारत को दी गई इस सामरिक सहायता से न केवल समुद्री क्षेत्रों में भारत की उपस्थिति और ताकत में वृद्धि होगी, बल्कि यह पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने की दिशा में भी एक अहम कदम माना जा रहा है। भारत ने हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक सहयोग की वकालत की है और यह कदम उसी दिशा में एक ठोस प्रगति है।
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