जंगल की आग यरुशलम के नज़दीक पहुँची, इजराइल ने किया राष्ट्रीय आपातकाल घोषित
इज़रायल इस समय एक अभूतपूर्व संकट से जूझ रहा है। गाज़ा पट्टी में हमास के खिलाफ 18 महीनों से चल रहे संघर्ष के बीच, अब देश को एक गंभीर पर्यावरणीय आपदा का सामना करना पड़ रहा है। यरुशलम के पास के जंगलों में लगी आग लगातार विकराल होती जा रही है और इसके प्रभाव ने देश भर में दहशत फैला दी है। आग की भयावहता को देखते हुए इज़रायली सरकार ने पूरे देश में राष्ट्रीय आपातकाल लागू कर दिया है।
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने आग की गंभीरता को देखते हुए चेतावनी दी है कि अगर जल्द नियंत्रण नहीं पाया गया तो यह लपटें राजधानी यरुशलम के भीतर तक पहुंच सकती हैं। इस संकट की घड़ी में अब तक हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा चुका है और प्रभावित क्षेत्रों में घना धुआं और लपटें लोगों के जीवन को खतरे में डाल रही हैं। दमकलकर्मी और सेना मिलकर इस भीषण आग से निपटने के प्रयास में जुटे हैं, लेकिन गर्म और शुष्क मौसम तथा तेज हवाओं के कारण आग को नियंत्रित करना चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है।
दमकल विभाग की रिपोर्ट के अनुसार यह आग पिछले कई वर्षों की सबसे भीषण आगों में से एक है।
यरुशलम और तेल अवीव को जोड़ने वाले मार्गों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है और आसपास के क्षेत्रों के नागरिकों को इलाके खाली करने के निर्देश दिए गए हैं। आग से जानमाल के नुकसान की खबरें लगातार आ रही हैं और कई लोग घायल भी हुए हैं।
इज़रायल ने अंतरराष्ट्रीय सहायता की मांग की है और इटली, फ्रांस, स्पेन, क्रोएशिया, रोमानिया, साइप्रस तथा नॉर्थ मैसेडोनिया जैसे देशों ने सहायता के रूप में अग्निशमन विमान और अन्य संसाधन भेजे हैं। अब तक 10 से अधिक विमान आग बुझाने में मदद कर रहे हैं। इन प्रयासों के बावजूद आग पर पूर्ण नियंत्रण अभी भी नहीं पाया जा सका है।
प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अपने बयान में कहा कि यह केवल एक जंगल की आग नहीं है, बल्कि एक राष्ट्रीय आपदा है। उनका कहना है कि वर्तमान में सबसे बड़ी प्राथमिकता यरुशलम की रक्षा करना है और इसके लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से तत्काल सहायता की अपील भी की है।
यह संकट इज़रायल के लिए दोहरी चुनौती लेकर आया है।
एक ओर सीमापार जारी सैन्य संघर्ष और दूसरी ओर घरेलू स्तर पर फैलती प्राकृतिक आपदा। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर आग पर जल्द नियंत्रण नहीं पाया गया, तो यह न केवल मानवीय जीवन के लिए खतरा होगी, बल्कि इससे देश के पारिस्थितिक संतुलन और सांस्कृतिक विरासत पर भी गंभीर असर पड़ सकता है।
सरकार नागरिकों से अपील कर रही है कि वे संयम बनाए रखें, अफवाहों से दूर रहें और आधिकारिक दिशा-निर्देशों का पालन करें।