
‘दोषियों को सजा मिले, मुस्लिम और कश्मीरी को टारगेट करना गलत’- पहलगाम में मारे गए शहीद नरवाल की पत्नी हिमांशी
पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी ने उनके जन्मदिवस पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में देशवासियों से भावुक अपील की। उन्होंने कहा कि दुख की इस घड़ी में हमें धैर्य और समझदारी से काम लेना चाहिए। हिमांशी ने साफ शब्दों में कहा कि इस हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को कठोरतम सजा मिलनी चाहिए, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि किसी समुदाय विशेष चाहे वह मुस्लिम हो या कश्मीरी को निशाना बनाया जाए। उन्होंने कहा, “हम हिंसा के खिलाफ हैं, और चाहते हैं कि देश में शांति बनी रहे। हमें उस नफरत से खुद को अलग रखना है, जो आतंकवादी फैलाना चाहते हैं।”
विनय नरवाल के जन्मदिवस के अवसर पर उनके परिवार की ओर से एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में स्थानीय लोग, युवा, सेना के पूर्व अधिकारी और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। यह आयोजन विनय की देशभक्ति और बलिदान को श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से किया गया था। हिमांशी इस दौरान बेहद भावुक नजर आईं, लेकिन उन्होंने साहस के साथ कहा, “मैं अपने पति के दिखाए रास्ते पर चलूंगी। उन्होंने देश के लिए अपने प्राण दिए, अब मेरी बारी है कि मैं अपने जीवन को देश सेवा के लिए समर्पित करूं। मैं चाहती हूं कि विनय जहां भी हों, उन्हें शांति मिले और देश उन्हें हमेशा याद रखे।”
हिमांशी ने कहा कि यह दिन उनके लिए केवल शोक का नहीं, बल्कि गर्व और प्रेरणा का दिन है। “आज हम यहां केवल दुख व्यक्त करने नहीं, बल्कि विनय की देशभक्ति, साहस और बलिदान को याद करने और सम्मान देने आए हैं। वह हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका जज़्बा, उनका आदर्श हमारे दिलों में हमेशा ज़िंदा रहेगा,” उन्होंने कहा।
गौरतलब है कि विनय और हिमांशी की शादी 16 अप्रैल को हुई थी, और 19 अप्रैल को उनका रिसेप्शन रखा गया था।
इसके बाद दोनों हनीमून के लिए जम्मू-कश्मीर के पहलगाम गए थे, जहां 22 अप्रैल को हुए क्रूर आतंकी हमले में विनय नरवाल शहीद हो गए। इस हमले में कुल 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, आतंकवादियों ने लोगों की धार्मिक पहचान पूछकर उन्हें निशाना बनाया था, जिससे यह हमला और भी विभाजनकारी और दर्दनाक बन गया।
विनय नरवाल की बहन सृष्टि भी इस कार्यक्रम में मौजूद थीं। उन्होंने वहां आए लोगों को धन्यवाद देते हुए कहा, “हम जानते हैं कि अपने किसी प्रिय को खोना कितना दर्दनाक होता है। लेकिन हम इस दर्द को सेवा में बदलना चाहते हैं। इस ब्लड डोनेशन कैंप के ज़रिए हम यह संदेश देना चाहते हैं कि ज़िंदगी बचाना ही सच्ची श्रद्धांजलि है। हमने एक बहादुर भाई खोया है, लेकिन अब हम उसकी याद को एक नई दिशा देना चाहते हैं।”
कार्यक्रम में मौजूद कई लोगों की आंखें नम थीं, लेकिन माहौल में विनय के प्रति सम्मान और गौरव की भावना थी।
इस आयोजन ने न सिर्फ विनय के बलिदान को याद किया, बल्कि देशवासियों को यह सोचने पर मजबूर किया कि असली देशभक्ति क्या है। नफरत नहीं, एकता और सेवा ही सच्चा रास्ता है।
हिमांशी और उनके परिवार का यह संदेश अब देशभर में फैल रहा है: शांति की राह पर चलते हुए हमें आतंक के खिलाफ एकजुट होना है, लेकिन निर्दोषों के खिलाफ नफरत नहीं फैलानी है। यह केवल एक शहीद की याद नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए एक सीख है।
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