
"Delhi Flood: सचिवालय, घाट और जनजीवन पर यमुना का कहर"
जनजीवन पर बाढ़ का असर
Delhi Flood का असर दिल्ली के दैनिक जीवन पर साफ नजर आ रहा है। यमुना नदी का जलस्तर बढ़कर खतरे की रेखा से ऊपर पहुँच गया है और इसका असली प्रमाण है कि सचिवालय तक पानी पहुँचना। इससे प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो गए हैं और कांग्रेस-चहारदीवारी वाले मार्गों पर यातायात बदहवासी का शिकार है।
निगमबोध घाट, जो कि दिल्ली का सबसे पुराना और व्यस्त श्मशान स्थल है, बाढ़ की चपेट में आ गया। उसकी एक दीवार ढह जाने के कारण पानी तेजी से अंदर घुसा और दाह संस्कार को अस्थायी रूप से बंद करना पड़ा है। यमुना बाजार, मयूर विहार व कश्मीरी गेट इलाके भी जलमग्न हो चुके हैं, जिससे नागरिकों को अति कठिन हालात का सामना करना पड़ रहा है ।
राहत एवं बचाव कार्य
स्थिति गंभीर है, लेकिन राहत और बचाव कार्य भी पूरी सक्रियता से किए जा रहे हैं। प्रशासन ने 38 से अधिक राहत शिविर बनाए हैं और हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है।
NDRF की टीमें, साथ में सैंडबैग, मोबाइल वॉटर पंप, 58 बचाव नौका, और 5.6 लाख सैंडबैग जैसे संसाधन बाढ़‑नियंत्रण के लिए तैनात किए गए हैं । इसके अलावा, स्वास्थ्य विभाग राहत शिविरों में ORS, क्लोरीन, फॉगिंग जैसे उपाय भी कर रहा है ताकि जलजनित बीमारियाँ न फैलें । जीविका, स्वास्थ्य और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन 24×7 अलर्ट पर है।
यमुना की स्थिरता और भविष्य की तैयारी
2025 में Yamuna का जलस्तर अब तीसरे सबसे ऊँचे स्तर पर पहुँच चुका है—लगभग 207 मीटर, जो 63 वर्षों में तीसरा सर्वोच्च स्तर है । भारी बारिश और हथिनीकुंड से पानी छोड़ने की वजह से इस उफान में तेजी आई है ।
स्थानीय परिषदें, जल नियंत्रण कक्ष और प्रशासन निरंतर निगरानी कर रहे हैं, और यदि स्थिति और बिगड़े तो और कड़े निर्देश लागू करने की तैयारी है। यह Delhi Flood न केवल एक प्राकृतिक घटना है, बल्कि भविष्य की तैयारी, बाढ़‑प्रबंधन और आमजन की सुरक्षा की असल परीक्षा भी है।
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