जगदीप धनखड़ को नहीं मिला सरकारी बंगला, फार्महाउस में रहने का फैसला

जगदीप धनखड़ ने सरकारी बंगला क्यों छोड़ा?


पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा देने के करीब 40 दिन बाद सरकारी बंगला खाली कर दिया और छतरपुर स्थित इंडियन नेशनल लोकदल नेता अभय सिंह चौटाला के फार्महाउस में रहने का फैसला लिया है। पद छोड़ने के बाद नियमों के मुताबिक उन्हें टाइप-8 बंगला दिया जाना था, लेकिन बंगले का पुनर्निर्माण चल रहा है और कागजी प्रक्रिया में देरी के कारण अभी तक आवास आवंटित नहीं हो पाया है।

धनखड़ का फैसला इसलिए भी चर्चा में है क्योंकि उन्होंने अपनी निजी संपत्तियों के बजाय चौटाला परिवार के फार्महाउस को अस्थायी निवास चुना। अभय चौटाला ने स्वयं इस आवास के लिए पहल की थी। बताया जा रहा है कि इसका कारण राजनीति से लेकर सुरक्षा व्यवस्था तक बताया जा रहा है।

फार्महाउस में अस्थायी निवास और राजनीतिक संदेश


स्वास्थ्य कारणों से उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद जगदीप धनखड़ फिलहाल सार्वजनिक जीवन से दूर हैं और दिल्ली के छतरपुर इलाके में हैं। सरकारी आवास की प्रक्रिया पूरी होने में कई महीने लग सकते हैं, इसलिए वे चौटाला परिवार के फार्महाउस में शिफ्ट हुए हैं। सुरक्षा कारणों के मद्देनजर नया सरकारी बंगला तैयार होने तक यही उनकी अस्थायी व्यवस्था है। राजनीतिक हलकों में इसे जाट बिरादरी की एकजुटता और सत्ता के समीकरणों से जोड़कर देखा जा रहा है। दिल्ली में नेताओं का निवास केवल रहने की जगह ही नहीं, राजनीतिक ताकत और संदेश का भी परिचायक होता है। इस घटनाक्रम से सरकार व धनखड़ के चुप रहने के कारण भी चर्चाएं तेज हैं।

नियम और आवंटन प्रक्रिया की स्थिति


भारत सरकार के नियमों के अनुसार, पूर्व उपराष्ट्रपति को दिल्ली के लुटियन जॉन में टाइप-8 बंगला या पैतृक स्थल पर दो एकड़ जमीन दी जाती है। प्रक्रिया के लिए औपचारिक आवेदन और आवंटन की प्रक्रिया होती है। लेकिन इस बार सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक ऑफर नहीं आया और न ही धनखड़ के कार्यालय ने लिखित में मांग की। इसके चलते कागजी प्रक्रिया पूरी न हो सकी और धनखड़ को ठहरने के लिए निजी व्यवस्था करनी पड़ी। नया टाइप-8 बंगला लगभग तीन महीने में तैयार हो जाएगा, उसके बाद जगदीप धनखड़ वहीं शिफ्ट होंगे। फिलहाल सुरक्षा टीम और अधिकारी फार्महाउस में उनकी सहायता हेतु तैनात हैं।

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