‘अदालत का समय बर्बाद न करें’- सुप्रीम कोर्ट की शशि थरूर केस पर तीखी टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (22 जुलाई, 2025) को कांग्रेस नेता शशि थरूर के खिलाफ लंबित आपराधिक मानहानि मामले पर तल्ख टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि “अदालत का समय इस तरह के मामलों में व्यर्थ नहीं किया जाना चाहिए।” यह टिप्पणी न्यायमूर्ति बी.आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने उस वक्त दी, जब वह थरूर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। थरूर ने दिल्ली की निचली अदालत में उनके खिलाफ चल रही कार्यवाही रद्द करने की मांग की थी।


शशि थरूर पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट


मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा नेता राजीव बब्बर द्वारा दायर इस मानहानि केस की सुनवाई के दौरान जब उनके वकील ने जवाब दाखिल करने की जानकारी दी, तो बेंच इससे अप्रभावित रही। कोर्ट ने सख्त लहज़े में कहा, “आप अदालत को इस तरह की बातों में क्यों उलझाते हैं? ज़रूरी मामलों पर ध्यान दीजिए।” 

बेंच ने यह भी स्पष्ट किया कि थरूर की याचिका पर सुनवाई अगले सप्ताह होगी। इसी दिन आम आदमी पार्टी के नेताओं अरविंद केजरीवाल और आतिशी के खिलाफ दायर एक अन्य मानहानि केस पर भी सुनवाई की जाएगी। जब याचिकाकर्ता के वकील ने दोनों मामलों को अलग-अलग सूचीबद्ध करने की मांग की, तो कोर्ट ने सख्ती से जवाब दिया, “हमें यह मत बताइए कि क्या सुनना है और कैसे आदेश देना है।”

नवंबर 2018 का है मामला 


नवंबर 2018 में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर विवादित रूपकात्मक टिप्पणी की थी। इसे लेकर बीजेपी नेता राजीव बब्बर ने उनके खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने और प्रधानमंत्री की छवि को नुकसान पहुंचाने के आरोप में आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था।  अक्टूबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ थरूर की अपील पर नोटिस जारी किया था, जिसमें हाई कोर्ट ने केस खारिज करने से इनकार कर दिया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की थी, “कई बार एक रूपक सच को कुछ शब्दों में ही बयान कर देता है, जैसे एक तस्वीर हजार शब्दों से ज़्यादा कहती है। पता नहीं लोग इससे आहत क्यों हो जाते हैं।” उस दौरान अदालत ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर अस्थायी रोक लगा दी थी, जिससे थरूर को पेशी से राहत मिल गई थी। 

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