
हसदेव अरंड जंगल में अडानी की परियोजना से 3.68 लाख पेड़ उजड़ेंगे, केंद्र ने दी जानकारी
छत्तीसगढ़ के हसदेव अरंड जंगल में अडानी एंटरप्राइजेज की परसा ईस्ट केंते बसन (PEKB) कोल ब्लॉक परियोजना के विस्तार के लिए 3.68 लाख से अधिक पेड़ों की कटाई की अनुमति दी गई है। यह जानकारी केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने सोमवार को लोकसभा में दी।
हसदेव अरंड में 3.68 लाख से अधिक पेड़ों की कटाई
सीपीआई (माले)-लिबरेशन के सांसद राजा राम सिंह द्वारा पूछे गए प्रश्न के जवाब में पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि राज्य सरकार के प्रस्ताव पर विचार करते हुए, परियोजना को दो बार मंज़ूरी दी गई। जवाब में बताया गया कि कुल 3,68,217 पेड़ "प्रभावित होंगे", यानी उन्हें काटा जाएगा या स्थानांतरित किया जाएगा।
मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि यह मंजूरी कुछ शर्तों के साथ दी गई है, जिनमें प्रतिपूरक वनरोपण (Compensatory Afforestation), शुद्ध वर्तमान मूल्य (Net Present Value) का भुगतान और अन्य शमन उपाय शामिल हैं।
मध्य भारत का एक समृद्ध वन क्षेत्र
हसदेव अरंड लगभग 1.7 लाख हेक्टेयर में फैला मध्य भारत का एक समृद्ध वन क्षेत्र है। यह क्षेत्र भालू, हाथी जैसे वन्य जीवों और स्मिलैक्स व एपिफाइटिक ऑर्किड जैसी दुर्लभ वनस्पतियों का प्राकृतिक आवास है। यहाँ कुल 23 कोल ब्लॉक चिन्हित किए गए हैं, जिनमें से छह को खनन की मंजूरी मिल चुकी है। इनमें से चार ब्लॉक अडानी एंटरप्राइजेज को ठेके पर दिए गए हैं।
सरकारी दस्तावेजों के अनुसार, वर्ष 2009 में सरगुजा ज़िले के कई गांवों में परियोजना के लिए जन सुनवाई आयोजित की गई थी। इसके बाद गठित एक विशेषज्ञ मूल्यांकन समिति (EAC) ने परियोजना को पर्यावरणीय मंजूरी (EC) देने की सिफारिश की, जो दिसंबर 2011 में प्रदान की गई थी।
2016 में खनन क्षमता को 10 मिलियन टन प्रति वर्ष (MTPA) से बढ़ाकर 15 MTPA करने के लिए फिर से सार्वजनिक सुनवाई की गई। इसमें प्रदूषित जल, विस्थापन, रोजगार, संस्कृति और पर्यावरणीय प्रभावों को लेकर लोगों ने अपनी आपत्तियां दर्ज कराईं।
इसके बाद 2022 में परियोजना की क्षमता को और बढ़ाकर 18 MTPA करने की अनुमति दी गई – यानी 20% की वृद्धि। सरकार ने बताया कि इस विस्तार के तहत परियोजना प्रस्तावक द्वारा संचयी प्रभाव मूल्यांकन भी प्रस्तुत किया गया है।
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