BJP सांसद के बेटे विकास बराला की AAG पद पर नियुक्ति, छेड़खानी का मामला कोर्ट में लंबित

हरियाणा की नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने एक विवादास्पद निर्णय लेते हुए विकास बराला को सहायक महाधिवक्ता (Assistant Advocate General) नियुक्त किया है। बराला पर पूर्व आईएएस अधिकारी की बेटी का पीछा करने और अपहरण की कोशिश का आरोप है। यह मामला फिलहाल चंडीगढ़ की अदालत में विचाराधीन है।


विकास बराला क्यों बचा रही सैनी सरकार


विकास बराला के नाम की सिफारिश हरियाणा सरकार की स्क्रीनिंग कमेटी ने की थी, जिसमें विशेष सचिव (गृह विभाग) मणि राम शर्मा, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) के नामित सदस्य, कानूनी सलाहकार रितु गर्ग, और दो सेवानिवृत्त न्यायाधीश दर्शन सिंह और एच.एस. भल्ला शामिल थे। 18 जुलाई को हरियाणा गृह विभाग द्वारा नियुक्ति का आदेश जारी किया गया। विकास अब दिल्ली में हरियाणा सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे और सुप्रीम कोर्ट सहित अन्य न्यायिक मंचों पर राज्य की पैरवी करेंगे। वे उन सात विधि अधिकारियों में शामिल हैं जिन्हें दिल्ली स्थित हरियाणा लीगल सेल के लिए नियुक्त किया गया है। विकास बराला, हरियाणा बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद सुभाष बराला के बेटे हैं। वे लंबे समय से पार्टी से जुड़े रहे हैं और राजनीति के साथ-साथ वकालत से भी सक्रिय रूप से जुड़े हैं।

2017 का मामला और अगली सुनवाई


विकास बराला पर आरोप है कि उन्होंने 5 अगस्त 2017 को अपने दोस्त आशीष के साथ मिलकर एक आईएएस अधिकारी की बेटी का पीछा किया था। युवती की शिकायत पर चंडीगढ़ पुलिस ने दोनों के खिलाफ IPC की धारा 354D (पीछा करना) और मोटर वाहन अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था। वर्तमान में यह मामला चंडीगढ़ की अदालत में चल रहा है और अगली सुनवाई 2 अगस्त को होनी है। अभियोजन पक्ष इस समय सबूत दर्ज करा रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया द्वारा संपर्क किए जाने पर विकास बराला ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

इस नियुक्ति को लेकर विपक्ष ने राज्य सरकार की तीखी आलोचना की है। उनका कहना है कि सरकार ने एक ऐसे व्यक्ति को संवैधानिक पद सौंपा है जिस पर गंभीर आपराधिक आरोप हैं। विपक्ष का तर्क है कि यह न केवल न्याय प्रक्रिया का अपमान है बल्कि महिला सुरक्षा के सवालों को भी उठाता है। सरकार का कहना है कि यह नियुक्ति सभी तय प्रक्रियाओं और नियमों के तहत की गई है, और जब तक किसी पर आरोप सिद्ध न हो जाएं, तब तक उसे दोषी नहीं माना जा सकता।

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