CJI गवई की फटकार, अदालत को प्रचार का मंच न बनाएं, वकील पर ₹7000 का जुर्माना

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिका को खारिज करते हुए युवा वकील को सख्त लहजे में चेतावनी दी कि न्यायपालिका को सस्ती लोकप्रियता के साधन के रूप में इस्तेमाल करने की प्रवृत्ति खतरनाक है। अदालत ने यह टिप्पणी उस याचिका पर की जिसमें महाराष्ट्र प्रशासन के अधिकारियों पर CJI गवई के एक आधिकारिक दौरे में "प्रोटोकॉल उल्लंघन" का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की गई थी।


हाल ही में मुख्य न्यायाधीश गवई महाराष्ट्र के दौरे पर थे। यह उनके पदभार संभालने के बाद गृह राज्य की पहली यात्रा थी। इस दौरान यह देखा गया कि न तो राज्य के मुख्य सचिव, न पुलिस महानिदेशक (DGP), और न ही मुंबई पुलिस आयुक्त उन्हें रिसीव करने पहुंचे। CJI ने इस पर सार्वजनिक नाराज़गी जताई, जिसके बाद राज्य प्रशासन ने माफी मांग ली और मामला शांत हो गया। हालांकि, कुछ दिनों बाद एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जिसमें संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की गई।

CJI गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका को "सस्ती लोकप्रियता हासिल करने का प्रयास" करार देते हुए खारिज कर दिया। अदालत ने कहा, "यह कोर्ट ऐसी प्रैक्टिस का समर्थन नहीं करता। आपको ये समझना चाहिए कि कोर्ट में पेश की जाने वाली याचिकाओं का एक उद्देश्य होना चाहिए, न कि केवल सुर्खियां बटोरना।" 

कोर्ट ने याचिकाकर्ता की अनुभवहीनता को देखते हुए केवल ₹7000 का जुर्माना लगाया। CJI गवई ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, "अगर आप सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहे हैं, तो आपको यह मालूम होना चाहिए कि इस विषय पर पहले ही प्रेस नोट जारी किया जा चुका है।"

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