
गलवान संघर्ष के बाद पहली बार चीन जाएंगे पीएम मोदी, SCO बैठक में होंगे शामिल
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में जापान और चीन की महत्वपूर्ण यात्रा करने वाले हैं। यह यात्रा न केवल भारत और जापान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देने के लिहाज से अहम है, बल्कि चीन में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) बैठक में भारत की सक्रिय भूमिका को निर्धारित करेगा। पीएम 30 अगस्त को जापान के लिए रवाना होंगे, जहां वे जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा के साथ भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। बैठक में रणनीतिक, आर्थिक और तकनीकी क्षेत्रों में सहयोग को विस्तार देने पर चर्चा होगी। भारत और जापान के बीच रक्षा, डिजिटल तकनीक, आपूर्ति श्रृंखला और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में बढ़ाने देने के कारण यह बैठक अहम मानी जा रही है।
चीन में SCO समिट शामिल होंगे पीएम मोदी
जापान के दौरे के बाद प्रधानमंत्री मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर के बीच चीन के तियानजिन शहर में आयोजित SCO शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। यह मोदी की 2019 के बाद पहली चीन यात्रा होगी। समिट में आतंकवाद, क्षेत्रीय सुरक्षा, व्यापारिक सहयोग और बहुपक्षीय भागीदारी जैसे प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की जाएगी।
यह बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब अमेरिका और रूस के बीच बढ़ते तनाव, ब्रिक्स देशों की डॉलर से दूरी, और एशियाई क्षेत्र में सुरक्षा संतुलन जैसे वैश्विक मुद्दे गहराए हुए हैं।
भारत SCO में अपनी आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को दोहराता रहा है। बीते जून में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने क्विंगदाओ में आयोजित SCO रक्षामंत्रियों की बैठक में आतंकवाद से जुड़े एक दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था। उस दस्तावेज़ में पहलगाम आतंकी हमले का कोई उल्लेख नहीं था, जबकि बलूचिस्तान का संदर्भ शामिल किया गया था—जिसे भारत पर परोक्ष रूप से आरोप लगाने की कोशिश के रूप में देखा गया।
सूत्रों के मुताबिक, SCO की अध्यक्षता कर रहे चीन और पाकिस्तान ने आतंकवाद जैसे संवेदनशील मुद्दे को कमजोर करने का प्रयास किया, जिससे मतभेद उभरे और संगठन को संयुक्त बयान जारी करने से पीछे हटना पड़ा।
वैश्विक पटल पर अमेरिका की चिंता और ट्रंप का बयान
प्रधानमंत्री मोदी की यह चीन यात्रा ऐसे वक्त में हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ब्रिक्स देशों पर अमेरिका के आर्थिक हितों को कमजोर करने का आरोप लगाया है। ट्रंप ने कहा, "ब्रिक्स की स्थापना हमें नुकसान पहुंचाने और डॉलर को कमजोर करने के लिए की गई थी। डॉलर का दर्जा छिनना किसी विश्व युद्ध को हारने जैसा होगा। हम डॉलर को गिरने नहीं देंगे।"
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