
सुप्रीम कोर्ट से तमिलनाडु सरकार को राहत, योजनाओं में 'स्टालिन' नाम के इस्तेमाल पर रोक हटी
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें तमिलनाडु सरकार को कल्याणकारी योजनाओं में वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम और तस्वीरों के उपयोग पर रोक लगाई गई थी। शीर्ष अदालत ने इसे कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करार देते हुए याचिकाकर्ता और अन्नाद्रमुक नेता सी. वी. षणमुगम पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्पष्ट किया कि यह जनहित याचिका वास्तव में राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित थी और इसमें कोई वास्तविक जनहित नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट से तमिलनाडु सरकार को राहत
मद्रास हाईकोर्ट ने 31 जुलाई को दिए अपने आदेश में राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि किसी भी नई या पुनः प्रारंभ की गई योजना का नाम जीवित व्यक्तियों, पूर्व मुख्यमंत्रियों या राजनीतिक दलों के नेताओं के नाम पर न रखा जाए। साथ ही, सरकारी योजनाओं के प्रचार में राजनीतिक दलों के झंडे, चिह्न या नेताओं की तस्वीरों के प्रयोग पर भी रोक लगा दी गई थी।
यह आदेश मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन की लोकप्रिय जनसंपर्क योजना ‘उंगलुदन स्टालिन’ (आपके साथ स्टालिन) को लेकर दाखिल की गई याचिका के बाद आया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सरकारी संसाधनों के ज़रिए दलगत प्रचार किया जा रहा है।
सुनवाई के दौरान सरकार की दलील
सुनवाई के दौरान, तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि ऐसे नामकरण पूरे देश में आम हैं। उदाहरण के तौर पर, केंद्र सरकार की कई योजनाएं ‘नमो’ (नरेंद्र मोदी) ब्रांडिंग के तहत चलाई जा रही हैं और AIADMK सरकार के दौरान ‘अम्मा’ (जयललिता) ब्रांड का व्यापक उपयोग हुआ। कोर्ट ने पूछा कि यदि अन्य राज्यों में ऐसा स्वीकार्य है, तो केवल तमिलनाडु सरकार को ही क्यों निशाना बनाया गया?
शीर्ष अदालत ने माना कि सरकारी योजनाओं का नामकरण और प्रचार कार्यकारी अधिकार क्षेत्र में आता है और जब तक यह कोई संवैधानिक या वैधानिक उल्लंघन नहीं करता, अदालत को इसमें हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
कोर्ट ने कहा, “ऐसी जनहित याचिकाएं न केवल अनुचित हैं, बल्कि न्यायपालिका का राजनीतिक इस्तेमाल करने की कोशिश हैं। जनहित याचिका का उपयोग राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता को बढ़ावा देने के लिए नहीं किया जा सकता।”
सी. वी. षणमुगम पर लगाया गया 10 लाख रुपये का जुर्माना अदालत की उस मंशा को दर्शाता है कि वह जनहित याचिका की आड़ में की जा रही राजनीतिक चालों को बर्दाश्त नहीं करेगी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद तमिलनाडु सरकार को 'उंगलुदन स्टालिन', 'नलम काक्कुम स्टालिन' जैसी योजनाओं को पूर्ववत जारी रखने का रास्ता साफ हो गया है। यह फैसला राज्य सरकार की एक बड़ी कानूनी जीत के तौर पर देखा जा रहा है।
For all the political updates download our Molitics App :
Click here to Download