1984 दंगे: सज्जन कुमार का दावा- “जिस घटना में मेरा नाम लिया गया, वहां मौजूद भी नहीं था”

राउज एवेन्यू कोर्ट में 1984 सिख विरोधी दंगों से जुड़े जनकपुरी और विकासपुरी हिंसा मामले में पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार का बयान दर्ज किया गया। सज्जन कुमार ने खुद को पूरी तरह निर्दोष बताते हुए कहा कि मैं कभी इस हिंसा का हिस्सा नहीं था, न ही सपने में भी ऐसी किसी घटना में शामिल हो सकता हूं। उन्होंने अदालत में कहा कि उनके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं है और वह घटना के समय मौके पर मौजूद भी नहीं थे। सज्जन कुमार ने दावा किया कि मैं उस समय सांसद था, कोई भी मेरा नाम ले सकता था।


सज्जन कुमार ने कोर्ट में कहा कि जांच एजेंसियों ने निष्पक्ष जांच नहीं की। उनके अनुसार, "जांच का उद्देश्य मेरे खिलाफ झूठे और मनगढ़ंत आरोप बनाना था ताकि मुझे राजनीतिक रूप से फंसाया जा सके।" उन्होंने यह भी तर्क दिया कि शुरूआती गवाहों ने उनका नाम नहीं लिया था और दशकों बाद अचानक उनका नाम सामने लाया गया, जो दर्शाता है कि मामला राजनीति से प्रेरित है। कोर्ट ने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख 29 जुलाई तय की है।

सज्जन कुमार को 1 नवंबर 1984 को दिल्ली के सरस्वती विहार इलाके में दो सिख नागरिकों—जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह—को जिंदा जलाने के मामले में दोषी पाया गया था। फरवरी 2025 में राउज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी। 

इस मामले में भी सज्जन कुमार ने अदालत में सभी आरोपों से इनकार किया था। जबकि विशेष जांच दल (SIT) का आरोप है कि उन्होंने भीड़ को सिखों पर हमला करने के लिए भड़काया, जिसके बाद हिंसक भीड़ ने पीड़ितों को जिंदा जला दिया और उनके घर को लूट लिया। 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे, जिनमें हजारों सिखों की जान गई थी। सज्जन कुमार उन कांग्रेस नेताओं में शामिल रहे हैं जिन पर दंगों को भड़काने के आरोप लगे हैं।

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