IMF लोन पर खुश हुए शहबाज, ओवैसी ने कसा तंज- "हुकूमत तो दूर, तुम्हें देश चलाना भी नहीं आता"

भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है, और ऐसे समय में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा पाकिस्तान को एक अरब डॉलर का नया ऋण दिए जाने ने देश में तीखी प्रतिक्रियाएं जन्म दी हैं। AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए पाकिस्तान के साथ-साथ IMF पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं। 


ओवैसी ने कहा, "हमारी जमीन पर हमारे घरों पर और हमारे जवानों पर हमले हो रहे हैं, और उसी वक्त पाकिस्तान को IMF से अरबों डॉलर की सहायता दी जा रही है। क्या यही अंतरराष्ट्रीय न्याय है?" उन्होंने कहा कि यह संस्था अब "इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड" नहीं बल्कि "इंटरनेशनल मिलिटेंट फंड" बन चुकी है, जो एक आतंकी समर्थक सरकार की मदद कर रही है।

AIMIM नेता ने दावा किया कि भारतीय ऑपरेशन 'सिंदूर' में मारे गए जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष आतंकियों के जनाजों में पाकिस्तानी सेना और सरकार के शीर्ष अधिकारी शामिल हुए। उन्होंने कहा, "जिस आतंकी को अमेरिका ने प्रतिबंधित किया है, वही बहावलपुर और मुरीदके में खुलेआम नमाज-ए-जनाजा पढ़ा रहा है। क्या यही आतंक के खिलाफ पाकिस्तानी नीति है?" ओवैसी ने जम्मू-कश्मीर के पूंछ, राजौरी और श्रीनगर में हुए हालिया ड्रोन हमलों का उल्लेख करते हुए कहा कि इनमें आम नागरिकों, खासकर बच्चों की जान गई है।  उन्होंने कहा,"पाकिस्तान इस्लाम के नाम पर बच्चों को मार रहा है, और कहता है कि वह जन्नत में जाएगा? इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ने का अधिकार किसी को नहीं है।

पाकिस्तान की जमात-ए-इस्लामी पार्टी के चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समझौते पर भी ओवैसी ने तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा, "जब जिनजियांग में मुसलमानों पर अत्याचार हो रहे हैं, तब जमात की जुबान बंद रहती है। लेकिन वही जमात भारत के खिलाफ ज़हर उगलती है। यह दोहरा मापदंड नहीं तो क्या है?" अपने बयान के अंत में ओवैसी ने भारत की राजनीतिक पार्टियों को आह्वान किया कि वे आपसी मतभेदों को दरकिनार कर एकजुट होकर पाकिस्तान जैसे अस्थिर और खतरनाक पड़ोसी का सामना करें। उन्होंने कहा, "पाकिस्तान के परमाणु हथियार पर वैश्विक प्रतिबंध की ज़रूरत है। हमने 1947 में टू नेशन थ्योरी को खारिज किया था और आज भी खारिज करते हैं। भारत को अब सॉफ्ट पावर और दृढ़ता दोनों का प्रदर्शन करना होगा।"

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