प्रज्वल रेवन्ना को बलात्कार मामले में उम्रकैद, कोर्ट का बड़ा फैसला

बेंगलुरु की एक ट्रायल कोर्ट ने शनिवार को जनता दल (सेक्युलर) के पूर्व सांसद प्रज्वल रेवन्ना को अपनी घरेलू सहायक के साथ बार-बार बलात्कार करने और इस आपराधिक कृत्य का वीडियो रिकॉर्ड करने के मामले में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई। साथ ही, अदालत ने उन्हें पीड़िता को 10 लाख रुपये मुआवज़ा देने का भी निर्देश दिया। यह फैसला अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संतोष गजानन भट ने सुनाया। अदालत ने शुक्रवार को रेवन्ना को दोषी करार दिया था और शनिवार को सज़ा पर सुनवाई के बाद सज़ा सुनाई गई।


सुनवाई के दौरान प्रज्वल रेवन्ना का पक्ष

सज़ा पर सुनवाई के दौरान रेवन्ना ने अदालत से कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित हैं और आरोपों की टाइमिंग पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, "जब मैं संसद सदस्य के रूप में अपना कार्यकाल पूरा कर रहा था, तब कोई शिकायत सामने नहीं आई। अब, चुनावों के दौरान ही आरोप लगाए जा रहे हैं।" हालांकि, उन्होंने न्यायालय के फैसले को स्वीकार करने की बात कही और कहा कि वे उसका सम्मान करेंगे।रेवन्ना ने कहा, “मैं एक मेधावी छात्र हूं और मैकेनिकल इंजीनियरिंग स्नातक हूं। मुझे कम उम्र में राजनीति में धकेल दिया गया, जिससे नुकसान हुआ। फिर भी, मैं अदालत के निर्णय के सामने नतमस्तक हूं।" 

विशेष लोक अभियोजक बीएन जगदीश ने अदालत से अपील की कि अपराध की गंभीरता, इरादा और वीडियो रिकॉर्डिंग जैसे कारकों को ध्यान में रखते हुए रेवन्ना को “कठोर और उदाहरणीय” सज़ा दी जाए। वहीं, रेवन्ना के वकील नलिना मायागौड़ा ने अदालत से नरमी बरतने की अपील करते हुए कहा कि रेवन्ना समाज सेवा और धर्मार्थ गतिविधियों में सक्रिय रहे हैं और उनकी प्रतिष्ठा पहले ही धूमिल हो चुकी है।

मामले की पृष्ठभूमि

पीड़िता, जो रेवन्ना के परिवार के फार्महाउस में काम करती थी, ने बताया कि पहली बार 2021 के कोविड लॉकडाउन के दौरान रेवन्ना ने उसके साथ बलात्कार किया और उसका वीडियो बना लिया। पीड़िता ने दावा किया कि उसे वीडियो लीक करने की धमकी दी गई थी, जिससे वह चुप रही। जब सोशल मीडिया पर कई महिलाओं के यौन शोषण से संबंधित 2,900 से अधिक वीडियो लीक हुए, तब जाकर उसने मामला दर्ज कराया। इसके बाद रेवन्ना पर चार अलग-अलग एफआईआर दर्ज हुईं। 2024 के लोकसभा चुनावों के तुरंत बाद वे जर्मनी भाग गए। 31 मई 2024 को भारत लौटते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और वे तभी से न्यायिक हिरासत में हैं।

विशेष जांच दल (SIT) ने अगस्त 2024 में चार्जशीट दाखिल की और IPC की कई धाराओं में आरोप तय किए। रेवन्ना ने आरोपों को खारिज करने के लिए याचिका दाखिल की थी, जिसमें कहा गया कि देरी से दर्ज की गई शिकायत और पर्याप्त सबूतों की कमी के आधार पर मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए। हालांकि, अदालत ने कहा कि देरी की वजह और सबूतों की विश्वसनीयता पर विचार ट्रायल के दौरान किया जा सकता है, आरोप तय करने की प्रक्रिया में नहीं। न्यायालय ने यह भी माना कि पीड़िता की गवाही प्रथम दृष्टया विश्वसनीय है और मुकदमा चलाने के लिए पर्याप्त आधार प्रदान करती है।

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