
SC का फैसला: SIR प्रक्रिया जारी रहेगी, EC आधार, वोटर ID और राशन कार्ड पर करे विचार
बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को बड़ी राहत दी है। अदालत ने फिलहाल इस प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है और मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 28 जुलाई की तारीख तय की है।
SIR प्रक्रिया पर रोक नहीं, दस्तावेजों को लेकर सुझाव
मुख्य न्यायाधीश की अगुआई वाली पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने मतदाता सूची संशोधन को चुनौती देते हुए लोकतांत्रिक प्रक्रिया और मताधिकार से जुड़ा महत्वपूर्ण सवाल उठाया है। याचिका में चुनाव आयोग के 24 जून के निर्देशों को संविधान और कानून के प्रावधानों के विरुद्ध बताया गया है।
सुनवाई के दौरान अदालत ने चुनाव आयोग को आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड जैसे तीन प्रमुख दस्तावेजों को मतदाता पहचान के लिए स्वीकार करने पर विचार करने का सुझाव भी दिया।
"सिर्फ 11 दस्तावेजों तक सीमित नहीं" – चुनाव आयोग
चुनाव आयोग की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि मतदाता पुष्टि के लिए आयोग केवल 11 दस्तावेजों तक सीमित नहीं है और प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से चलाई जा रही है। वकील ने यह भी कहा कि इसी तरह की इंटेंसिव रिवीजन प्रक्रिया 2003 में भी अपनाई गई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि नागरिकता तय करना केंद्र सरकार का कार्यक्षेत्र है, न कि चुनाव आयोग का। उन्होंने कहा, “यहां एक बूथ लेवल ऑफिसर को नागरिकता तय करने की शक्ति दी गई है, जो संवैधानिक व्यवस्था के विपरीत है।”
कोर्ट ने सभी पक्षों को निर्देश दिया है कि 28 जुलाई की अगली सुनवाई से पहले जवाबी हलफनामे दाखिल किए जाएं। अदालत ने यह स्पष्ट किया कि SIR प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई जाएगी, लेकिन मुद्दे की संवेदनशीलता को देखते हुए व्यापक सुनवाई की आवश्यकता है।
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