
रेखा गुप्ता सरकार को सुप्रीम कोर्ट की सहमति, AAP शासन में दर्ज केस होंगे वापस
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली की बीजेपी सरकार को केंद्र और उपराज्यपाल (LG) के खिलाफ दायर कई मामलों को वापस लेने की अनुमति दे दी। यह सभी मामले पिछली AAP सरकार ने दायर कराए थे। यह अनुमति उस वक्त दी गई जब केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने अदालत को बताया कि इन मामलों में अब कोई न्यायिक हस्तक्षेप आवश्यक नहीं है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने बीजेपी सरकार की उस याचिका को स्वीकार किया, जिसमें सात मामलों को वापस लेने की अनुमति मांगी गई थी। इन मामलों में सेवाओं पर नियंत्रण, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, यमुना सफाई और एलजी की शक्तियों को चुनौती देने वाले विषय शामिल थे।
सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई 2023 को एक महत्वपूर्ण फैसले में दिल्ली सरकार को पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर अन्य सेवाओं पर नियंत्रण देने की बात कही थी। कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली का प्रशासन अन्य केंद्रशासित प्रदेशों से अलग है और यहां की निर्वाचित सरकार को नौकरशाहों पर नियंत्रण का अधिकार होना चाहिए।
हालांकि, इस फैसले के कुछ ही दिनों बाद केंद्र सरकार ने 19 मई 2023 को एक अध्यादेश लाकर 'राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण' की स्थापना की, जिससे ग्रुप-A अधिकारियों के ट्रांसफर और नियुक्ति पर केंद्र का नियंत्रण सुनिश्चित किया गया। AAP सरकार ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
AAP सरकार और LG के बीच टकराव का एक और बड़ा मुद्दा यमुना नदी पुनरुद्धार को लेकर था। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 19 जनवरी 2023 को एक आदेश में एलजी को यमुना पुनरुद्धार समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया था। AAP सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी।
इसके अलावा, दिल्ली जल बोर्ड को फंड जारी करने और दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (DERC) के अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर भी दोनों पक्ष अदालत में आमने-सामने थे।
AAP के नेताओं, विशेष रूप से तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके मंत्रियों ने केंद्र के अध्यादेश पर तीखी आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के फैसले को निष्प्रभावी करने की कोशिश है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि इस कानून के बाद अधिकारियों ने मंत्रियों के आदेश मानने बंद कर दिए हैं और बैठकों में भाग नहीं ले रहे हैं, जिससे प्रशासनिक कार्य बाधित हो रहे हैं।
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