रूस ने सुखोई Su-57M के साथ किया AI का सफल परीक्षण, भारत को भी मिलेगा इसका फायदा

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए सटीक सैन्य अभियान चलाया। ऑपरेशन "सिंदूर" के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित कई आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए और उन्हें ध्वस्त कर दिया। इस ऑपरेशन में भारतीय वायुसेना के सुखोई Su-30MKI विमानों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और एक बार फिर अपनी दक्षता साबित की। इन विमानों ने भारतीय वायुसेना की सामरिक और तकनीकी क्षमताओं को मजबूती प्रदान की। इस बीच, रूस ने सुखोई विमानों का एक नया और उन्नत संस्करण लॉन्च किया है। हाल ही में रूस ने सुखोई Su-57M फाइटर जेट का आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से सुसज्जित संस्करण सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह विमान फिलहाल प्रोटोटाइप के रूप में तैयार किया गया है, और विशेषज्ञ इसे रूस के एयरोस्पेस क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि मान रहे हैं। 


परीक्षण के दौरान, एक पायलट कॉकपिट में मौजूद था, लेकिन विमान की फ्लाइट कंट्रोल, नेविगेशन और लक्ष्य चयन जैसी प्रक्रियाएं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से संचालित की गईं। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक पायलटों को तेज और सटीक निर्णय लेने में सहायता करेगी, खासकर जटिल और चुनौतीपूर्ण स्थितियों में। इसके साथ ही, यह तकनीक पायलट के कार्यभार को कम करने और जोखिमपूर्ण निर्णयों को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में सहायक होगी। आने वाले समय में, यह तकनीक हवाई युद्ध और रक्षा रणनीतियों का अभिन्न हिस्सा बन सकती है। रूस का PAK FA कार्यक्रम, जो 1999 में शुरू हुआ, इसी दिशा में एक बड़ा कदम है। 

इस कार्यक्रम का उद्देश्य पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स को विकसित करना था। Su-57M इसी परियोजना का एक उन्नत संस्करण है, जिसे अमेरिका के F-22 रैप्टर और F-35 लाइटनिंग II जैसे विमानों के प्रतिस्पर्धी के रूप में देखा जा रहा है। यह विमान अपनी नई तकनीक और क्षमताओं के कारण वैश्विक सैन्य शक्ति संतुलन को बदलने की क्षमता रखता है। भारतीय वायुसेना के लिए सुखोई विमान एक अहम संपत्ति हैं। वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास 250 से अधिक Su-30MKI विमान हैं, जो देश के रक्षा तंत्र की रीढ़ माने जाते हैं। 1996 में भारत और रूस के बीच हुए समझौते के तहत इन विमानों का निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड द्वारा किया गया। यह सहयोग भारतीय वायुसेना की तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाने और उसे आत्मनिर्भर बनाने में सहायक रहा है। रूस द्वारा Su-57M के लॉन्च और उसके AI-सक्षम तकनीक के परीक्षण से भारतीय वायुसेना को भी नई संभावनाओं के द्वार खोलने का मौका मिल सकता है। इस नई तकनीक के भारतीय बेड़े में शामिल होने से देश की सामरिक और तकनीकी क्षमता को और मजबूती मिलेगी। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम वैश्विक स्तर पर सैन्य तकनीकी प्रतिस्पर्धा को एक नया आयाम देगा। 

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