
ऑपरेशन सिंदूर: लीपा घाटी में पाक सैन्य ढांचे का सफाया, पाकिस्तान को सुधार में लगेंगे महीनों
ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने न सिर्फ आतंकवादियों को बल्कि पाकिस्तानी सेना को भी ऐसी चोटें दी हैं, जिनका असर लंबे समय तक रहेगा। भारतीय सेना की चिनार कोर ने पीओके की लीपा घाटी में स्थित पाकिस्तानी सैन्य ढांचों को पूरी तरह नष्ट कर दिया है, जिससे पाकिस्तान को इन ढांचों को फिर से स्थापित करने में 8 से 12 महीने तक का वक्त लग सकता है। यह हमला भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान और पीओके में आतंकवादियों के खिलाफ की गई जवाबी कार्रवाई का हिस्सा था, जो मई के दूसरे सप्ताह में कुपवाड़ा ज़िले के टंगधार क्षेत्र में नियंत्रण रेखा (LoC) पर की गई थी। सेना के अधिकारियों का कहना है कि इस दौरान कई पाकिस्तानी सैन्य ठिकानों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया गया, जिसमें तीन सैन्य पोस्ट, एक गोला-बारूद डिपो, ईंधन भंडारण सुविधा, और तोपखाने जैसे अहम ठिकाने शामिल हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "हमने जिन ठिकानों को नष्ट किया, उनमें से कई अत्यधिक महत्वपूर्ण थे, जिनके पुनर्निर्माण में पाकिस्तान को महीनों का वक्त लगेगा।"
पाकिस्तानी सेना की हर कोशिश का भारतीय सेना ने सटीक और मजबूत जवाब दिया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान द्वारा इस्तेमाल किए गए भारी हथियारों और हवाई साधनों का मुकाबला करने के लिए अपनी एयर डिफेंस प्रणाली और 'आकाशदीप' रडार प्रणाली का कुशलता से इस्तेमाल किया। इसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान को कोई विशेष नुकसान नहीं हुआ। सेना अधिकारियों ने बताया कि भारतीय सेना ने केवल उन ठिकानों को निशाना बनाया, जहां सबसे ज्यादा रणनीतिक नुकसान पहुंचाया जा सकता था, जिससे पाकिस्तान की सैन्य क्षमता को भारी धक्का लगा।
इस जवाबी कार्रवाई के दौरान कम से कम 64 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए, जबकि 96 अन्य घायल हुए। सेना ने यह भी स्पष्ट किया कि पाकिस्तान की ओर से किसी भी सीज़फायर उल्लंघन का तीन गुना जवाब दिया जाएगा, और इस संदेश के साथ भारतीय सेना ने पाकिस्तान को अपनी स्थिति मजबूती से स्पष्ट कर दी।
7 मई को मुज़फ्फराबाद के पास भारतीय सेना द्वारा किए गए हमले ने ऑपरेशन सिंदूर को और भी प्रभावी बना दिया। यह हमला 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के प्रतिशोध में किया गया था, जिसमें 25 मिनट तक चले सटीक हमले में 9 पाकिस्तानी और पीओके स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया गया।
सेना अधिकारियों के अनुसार, इस हमले के दौरान पाकिस्तानी ब्रिगेड कमांडर ने अपने सैनिकों को संदेश भेजते हुए कहा, "पहले अपनी जान बचाओ, दफ्तर बाद में खुलेंगे।" यह स्थिति पाकिस्तान की सेना की विफलता को दर्शाती है, क्योंकि भारतीय सेना के मुकाबले उनकी कार्रवाइयाँ लगातार असफल होती गईं।
पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर जवाबी हमले की कोशिश की, लेकिन भारतीय सेना ने हर प्रयास को नाकाम कर दिया। इन घटनाओं के बाद, दोनों देशों ने 10 मई को संघर्ष विराम पर सहमति जताई, जिससे एक अस्थायी शांति की स्थिति बनी, लेकिन भारतीय सेना ने यह साबित कर दिया कि वह किसी भी परिस्थिति में पाकिस्तान के हमलों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है।
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