पहलगाम हमला: विदेश मंत्रालय का दावा, आतंकियों की पाकिस्तान में जड़, संसदीय समिति को दिए सबूत

भारत ने पाकिस्तान की आतंकवाद से जुड़ी भूमिका को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेनकाब करने और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे अभियानों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करने के उद्देश्य से एक सर्वदलीय संसदीय समिति को विदेश भेजने की योजना बनाई है। यह प्रतिनिधिमंडल जल्द ही विभिन्न देशों की यात्रा करेगा ताकि वैश्विक समुदाय के समक्ष भारत के दृष्टिकोण को मजबूती से रखा जा सके और पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को समर्थन देने की नीतियों को उजागर किया जा सके। इससे पहले, सोमवार को विदेश मंत्रालय ने संसद की विदेश मामलों की स्थायी समिति को हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के संबंध में एक विस्तृत प्रस्तुति दी। इस समिति की अध्यक्षता कांग्रेस सांसद शशि थरूर कर रहे हैं। मंत्रालय ने बताया कि 22 अप्रैल को हुआ यह हमला पूर्व नियोजित था और इसके तार सीधे पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों और उनके संचालकों से जुड़े हुए हैं। 


प्रारंभिक जांच में ऐसे संचार माध्यमों का पता चला है, जिनसे स्पष्ट होता है कि हमलावर पाकिस्तान से मिल रहे निर्देशों के आधार पर काम कर रहे थे। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने समिति को बताया कि इस हमले की रणनीति और आतंकियों की कार्यप्रणाली "द रेजिस्टेंस फ्रंट" नामक संगठन की पिछली गतिविधियों से मेल खाती है। यह संगठन, वास्तव में लश्कर-ए-तैयबा का ही एक नया रूप है, जिसे पाकिस्तानी एजेंसियों की मदद से सक्रिय रखा गया है। इन संगठनों को पाकिस्तान में सुरक्षित पनाहगाहें मिली हुई हैं और वहां से ये भारत के खिलाफ योजनाएं बनाते हैं, युवाओं को उकसाते हैं और हिंसात्मक गतिविधियों को अंजाम देते हैं। इसके अतिरिक्त, पीटीआई द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, अधिकारियों ने समिति को यह भी अवगत कराया कि पाकिस्तान का आतंकवाद के प्रति रवैया कोई नया नहीं है। भारत के पास ऐसे दर्जनों ठोस सबूत हैं जो पाकिस्तान की संलिप्तता और उसकी सरकार द्वारा आतंकियों को संरक्षण दिए जाने की पुष्टि करते हैं। इसके बावजूद पाकिस्तान का यह पुराना तरीका रहा है कि वह किसी भी आतंकी गतिविधि में अपने शामिल होने से इंकार कर देता है, और जब उस पर आरोप लगते हैं तो उलटे भारत को ही दोष देने की कोशिश करता है। 

यह रवैया न केवल तथ्यहीन है, बल्कि यह पाकिस्तान की सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है जिसका मकसद वैश्विक स्तर पर यह धारणा बनाना है कि दोनों देश भारत और पाकिस्तान समान रूप से सीमा पार आतंकवाद से प्रभावित हैं। मंत्रालय ने यह भी बताया कि पाकिस्तान की यह रणनीति विश्व समुदाय को भ्रमित करने का प्रयास है, ताकि उसकी जिम्मेदारी कम की जा सके और भारत को भी एक जैसे हालात वाला देश दिखाया जा सके। यह एक गहरा प्रोपेगेंडा है जो वर्षों से पाकिस्तान द्वारा चलाया जा रहा है। भारत का मानना है कि यह मिथ्या प्रचार केवल आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक संघर्ष को कमजोर करता है। 

ब्रीफिंग में यह बात भी दोहराई गई कि पाकिस्तान में ऐसे आतंकी नेता आज भी खुलेआम घूम रहे हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने वैश्विक आतंकवादी घोषित कर रखा है। हाफिज सईद और ज़की-उर-रहमान लखवी जैसे नाम इस सूची में शामिल हैं, जो पाकिस्तान की धरती से भारत के खिलाफ साजिशें रचते हैं और चरमपंथी विचारधारा फैलाते हैं। इसके बावजूद पाकिस्तान की सरकार और न्यायपालिका इन पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं करती, जिससे यह संदेश जाता है कि आतंकवाद को वहां संस्थागत समर्थन प्राप्त है। इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य न केवल भारत के खिलाफ हो रहे आतंकवादी हमलों के पीछे की सच्चाई को उजागर करना है, बल्कि यह भी है कि भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपेक्षा करता है कि वह पाकिस्तान की इस भूमिका को गंभीरता से ले और आवश्यक कूटनीतिक या प्रतिबंधात्मक कदम उठाए। जब सर्वदलीय समिति विदेश दौरे पर जाएगी, तो वह इन तथ्यों के आधार पर भारत की स्थिति को विश्व नेताओं और संगठनों के समक्ष रखेगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि आतंकवाद को प्रश्रय देने वाले देशों को अलग-थलग किया जाए और उनके खिलाफ ठोस वैश्विक कदम उठाए जाएं।

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