
दिल्ली, यूपी, हरियाणा को कोर्ट की फटकार, प्रदूषण नियंत्रण में लापरवाही पर मांगा जवाब
देश की राजधानी दिल्ली सहित उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान की सरकारों को सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण नियंत्रण के मामले में गंभीर लापरवाही बरतने पर कड़ी फटकार लगाई है। शीर्ष अदालत ने इन राज्यों में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड्स में रिक्त पदों को लेकर नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब बोर्डों में 50 फीसदी से अधिक पद खाली पड़े हैं, तो प्रदूषण पर प्रभावी नियंत्रण की उम्मीद कैसे की जा सकती है?
अदालत को सूचित किया गया कि दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (DPCC) में 55 प्रतिशत पद अभी भी रिक्त हैं। इस पर सख्त प्रतिक्रिया देते हुए न्यायमूर्ति अभय एस ओक और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि ऐसी स्थिति में ये संस्थाएं अपने दायित्वों का निर्वहन करने में पूर्णतः असमर्थ हैं। अदालत ने टिप्पणी की कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड "लगभग निष्क्रिय" हो चुके हैं और अगर समय रहते कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति और गंभीर हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि उसने अगस्त 2024 में ही आदेश जारी कर दिए थे, जिनके अनुसार सभी संबंधित राज्य सरकारों को 30 अप्रैल 2025 तक प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड्स में रिक्त पदों को भरने का निर्देश दिया गया था। लेकिन राज्यों द्वारा इन आदेशों को नज़रअंदाज़ किया गया, जो अदालत की अवमानना की श्रेणी में आता है।
इस लापरवाही पर अदालत ने चारों राज्यों — दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान — के मुख्य सचिवों को अवमानना नोटिस जारी किया है। नोटिस में पूछा गया है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए। अदालत ने दिल्ली के मुख्य सचिव को 19 मई 2025 को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होने का निर्देश दिया है, जबकि अन्य तीन राज्यों के मुख्य सचिवों को 18 जुलाई को वर्चुअल माध्यम से उपस्थित रहने को कहा गया है।
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