
‘कश्मीर की शांति तोड़ना चाहता है पाकिस्तान’, थरूर ने चीन के बदलते रुख की भी दी जानकारी
भारत द्वारा पाकिस्तान पर किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर गुरुवार को केंद्र सरकार ने एक महत्वपूर्ण सर्वदलीय बैठक बुलाई, जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। बैठक में केंद्र सरकार की ओर से गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी शामिल हुए। वहीं, विपक्ष की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी जैसे वरिष्ठ नेता उपस्थित रहे। इस बैठक में केरल के तिरुवनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी सरकार के कदमों की सराहना करते हुए अपनी स्पष्ट राय रखी।
सांसद थरूर ने कहा, “जब बात राष्ट्रीय सुरक्षा की हो, तो सभी राजनीतिक मतभेद समाप्त हो जाते हैं। कांग्रेस ने सरकार और हमारे सशस्त्र बलों को समर्थन देने की घोषणा सबसे पहले की थी। सरकार ने भी ज़िम्मेदारी दिखाते हुए ऑपरेशन से पहले और बाद में विपक्ष को विश्वास में लिया, जो एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए ज़रूरी था। देश समझता है कि सरकार ने क्यों और क्या कदम उठाए, और वह इसके साथ खड़ा है।” ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और पहलगाम आतंकी हमले पर टिप्पणी करते हुए थरूर ने कहा, “पाकिस्तानी सेना लंबे समय से अपने देश में असंतोष का सामना कर रही है। उन्होंने न केवल पाकिस्तान के सबसे लोकप्रिय नेता इमरान खान को जेल में डाला, बल्कि आम जनता को भी कुछ नहीं दिया। कश्मीर में हमला उनकी कोशिश थी कि वे खुद को देश का रक्षक दिखाएं और कश्मीर में अशांति फैला सकें।”
थरूर ने भारत की रणनीतिक संप्रेषण नीति की भी तारीफ की। उन्होंने कहा, “विदेश सचिव के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक कश्मीरी पंडित अधिकारी और दो महिला अधिकारी, जिनमें एक मुस्लिम थीं, को मंच पर साथ खड़ा करना पाकिस्तान के नफरत फैलाने वाले नैरेटिव को तोड़ने का एक प्रभावशाली तरीका था। इससे साफ संदेश गया कि भारत की लड़ाई आतंकवाद से है, किसी धर्म से नहीं।” अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाओं पर बोलते हुए थरूर ने कहा, “रूस, फ्रांस और इज़राइल जैसे देशों ने भारत के आत्मरक्षा के अधिकार को समझा है।
अमेरिका ने संयम की बात की, लेकिन उसे अपनी ऐतिहासिक भूमिका को देखते हुए सैद्धांतिक समर्थन देना चाहिए था। 9/11 के बाद अमेरिका ने आतंक के खिलाफ जो रुख अपनाया था, वैसा समर्थन भारत को मिलना चाहिए।”
चीन के रुख पर उन्होंने कहा, “हैरानी की बात है कि चीन ने पाकिस्तान के पक्ष में स्पष्ट बयान नहीं दिया। इससे संकेत मिलता है कि आज भारत के साथ उसके संबंधों का महत्व और भी बढ़ गया है। ट्रंप-युग की टैरिफ नीति के बाद भारत उसके लिए एक बड़ा बाज़ार है। युद्ध की स्थिति में चीन शायद पाकिस्तान का साथ देता, लेकिन फिलहाल वह संतुलन साधने की कोशिश कर रहा है।”
For all the political updates download our Molitics App :
Click here to Download