
Tariffs War: रूसी सामान की वैश्विक मांग, भारत में उछाल, पश्चिम में गिरावट
अमेरिका और यूरोपीय संघ समेत नाटो सदस्य देश चाहते हैं कि भारत रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद करे। लेकिन भारत ने इस मांग को स्पष्ट रूप से खारिज करते हुए पश्चिमी देशों पर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है। 5 अगस्त को अमेरिकी न्यूज चैनल CNBC को दिए इंटरव्यू में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर निशाना साधते हुए कहा था कि भारत हमारे साथ खूब व्यापार करता है, लेकिन हमें वैसा लाभ नहीं देता। इसलिए हमने 25% टैरिफ़ लगाया है(Tariffs War) और संभव है कि अगले 24 घंटे में इसे और बढ़ाकर 50% कर दूं क्योंकि वे अब भी रूसी तेल खरीद रहे हैं। ट्रंप ने बयान के बाद, उन्होंने बुधवार शाम भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ़ लगाया जिसके कुल टैरिफ़ 50% पहुँच गया।
Tariffs War: भारत का पलटवार- ख़ुद अमेरिका-यूरोप कर रहे अरबों की खरीद
भारत ने ट्रंप के बयान पर सख्त प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने इस दबाव को 'अनुचित' और 'दोहरे मानकों' वाला बताया है। भारत का कहना है कि जब अमेरिका और यूरोपीय संघ खुद यूक्रेन युद्ध के बावजूद रूस से अरबों यूरो का व्यापार कर रहे हैं, तो भारत पर पाबंदी की मांग तर्कहीन है।
समाचार एजेंसी AFP की रिपोर्ट में यूरोस्टैट और भारत के वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के आधार पर व्यापारिक आंकड़ों की तुलना की गई है, जो भारत के दावे की पुष्टि करते हैं।
यूरोपीय संघ की रूस से आयात पर निर्भरता में गिरावट
2025 की पहली तिमाही में यूरोपीय संघ ने रूस से कुल 8.74 अरब यूरो का माल आयात किया, जो 2021 की तुलना में लगभग एक चौथाई रह गया है। तब यह आंकड़ा 30.58 अरब यूरो था। युद्ध के बाद लगे प्रतिबंधों के बावजूद, यूरोपीय संघ अब भी रूस से तेल, निकल, प्राकृतिक गैस, खाद, लोहा और स्टील जैसी महत्वपूर्ण वस्तुएं खरीद रहा है। आंकड़े बताते हैं कि जनवरी 2022 से लेकर अब तक ईयू ने कुल 297 अरब यूरो का सामान रूस से आयात किया है।
यूक्रेन युद्ध से पहले रूस, यूरोपीय संघ का सबसे बड़ा पेट्रोलियम आपूर्तिकर्ता था। लेकिन अब प्रतिबंधों के चलते 2021 में 14.06 अरब यूरो का जो तेल आयात होता था, वह 2025 की पहली तिमाही में घटकर महज 1.48 अरब यूरो रह गया है। इसी तरह, पहले जहां यूरोपीय संघ अपनी 48% प्राकृतिक गैस रूस से खरीदता था, अब यह आंकड़ा घटकर 17% हो गया है। हालांकि खाद के आयात में अपेक्षाकृत कम गिरावट देखने को मिली है – 28.15% से घटकर 25.62%।
भारत ने रूस से आयात में जबरदस्त इज़ाफा किया
यूरोपीय संघ की तुलना में भारत ने पिछले चार वर्षों में रूस से आयात में तेज़ वृद्धि दर्ज की है। भारत के वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में जहां भारत ने रूस से 8.25 अरब डॉलर का आयात किया था, वहीं 2024 में यह बढ़कर 65.7 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
तेल, कोयला और खाद तीन प्रमुख क्षेत्रों में यह इज़ाफा विशेष रूप से देखने को मिला है। 2021 में भारत ने रूस से 2.31 अरब डॉलर का कच्चा तेल खरीदा था, जबकि 2024 में यह आंकड़ा 52.2 अरब डॉलर हो गया। कोयले के आयात में भी तीन गुना से अधिक की बढ़ोतरी हुई, 1.12 अरब डॉलर से बढ़कर 3.5 अरब डॉलर। खाद का आयात भी लगभग चार गुना बढ़ा, जो 48.3 करोड़ डॉलर से 1.67 अरब डॉलर हो गया।
अमेरिका ने भी रूस से आयात में भारी कटौती की है, लेकिन कुछ खास उत्पादों के मामले में अब भी व्यापार जारी है। 2025 की पहली तिमाही में अमेरिका ने रूस से 2.50 अरब डॉलर का सामान आयात किया, जबकि 2021 की समान अवधि में यह आयात 14.14 अरब डॉलर का था।
हालांकि कुछ अहम वस्तुओं की खरीद में अमेरिका ने बढ़ोतरी की है। उदाहरण के लिए, 2024 में अमेरिका ने रूस से 1.27 अरब डॉलर की खाद खरीदी, जो 2021 के 1.14 अरब डॉलर से अधिक है। इसके अलावा अमेरिका ने 62.4 करोड़ डॉलर का संवर्धित यूरेनियम और प्लूटोनियम तथा 87.8 करोड़ डॉलर का पैलैडियम भी रूस से आयात किया, हालांकि पैलैडियम की खरीद 2021 के मुकाबले घट गई है।
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