महाराष्ट्र में नया गठबंधन? संजय राउत ने शिवसेना (UBT)-MNS गठजोड़ के दिए संकेत

राज्यसभा सांसद संजय राउत ने मंगलवार को बड़ा राजनीतिक संकेत देते हुए कहा कि उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) आगामी स्थानीय निकाय चुनाव मिलकर लड़ेंगी। कई महीनों की अटकलों के बाद दोनों चचेरे भाइयों  उद्धव और राज ने जुलाई में एक साथ मंच साझा किया था, जब उन्होंने स्कूलों में तीन-भाषा नीति और हिंदी थोपने के आरोपों के खिलाफ साझा विरोध प्रदर्शन में भाग लिया था। सरकार द्वारा नीति वापस लेने के बाद दोनों नेताओं ने एक संयुक्त ‘विजय रैली’ का आयोजन भी किया था, जिसने दोनों के राजनीतिक समीकरणों में संभावित समीपता के संकेत दिए। 


गठबंधन पर क्या बोले संजय राउत?


नई दिल्ली में पत्रकारों से बातचीत के दौरान जब राउत से संभावित गठबंधन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, ज़रूर। दोनों ठाकरे एक साथ बैठकर इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे। राउत ने भरोसा जताया कि शिवसेना (यूबीटी) और मनसे का यह गठबंधन मुंबई, पुणे, नासिक, छत्रपति संभाजीनगर, ठाणे और कल्याण-डोंबिवली जैसे प्रमुख नगर निगमों में निर्णायक बहुमत हासिल करेगा। उनका कहना था कि दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में एक नया उत्साह और आत्मविश्वास है।

20 साल बाद एक मंच पर उद्धव और राज ठाकरे


गौरतलब है कि राज ठाकरे ने 2005 में उद्धव ठाकरे से वैचारिक मतभेदों के चलते शिवसेना से नाता तोड़ते हुए मनसे की स्थापना की थी। उन्होंने खुद को ‘मूल मराठी निवासियों के हक़ की असली आवाज़’ के रूप में प्रस्तुत किया और तब से दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ राजनीतिक मोर्चे पर आमने-सामने रहे हैं। लेकिन फडणवीस सरकार की ‘तीन-भाषा नीति’ के तहत हिंदी को अनिवार्य किए जाने के फैसले का विरोध करते हुए 5 जुलाई, 2025 को दोनों भाइयों ने बीस साल बाद एक मंच साझा किया था। यह दृश्य महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया अध्याय लिखने जैसा था। सरकार द्वारा फैसला वापस लेने के बाद प्रस्तावित विरोध मार्च की जगह मुंबई के वर्ली इलाके में एक ‘विजय रैली’ का आयोजन किया गया था, जिसमें दोनों ठाकरे नेता एक साथ नजर आए। 

इस रैली में राज ठाकरे ने कहा था, “मैंने पहले भी कहा था कि मेरा महाराष्ट्र किसी भी राजनीतिक लड़ाई से बड़ा है। आज 20 साल बाद मैं और उद्धव फिर एक साथ खड़े हैं। जो काम कभी बालासाहेब भी नहीं कर पाए, वह आज देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया हमें एक मंच पर ला दिया।”  वहीं, उद्धव ठाकरे ने रिश्तों को लेकर स्पष्ट संकेत दिए थे और कहा था, “हम दो भाई सिर्फ मंच साझा करने के लिए नहीं, बल्कि साथ रहने के लिए साथ आए हैं।” यह साझा मंच केवल एक सांकेतिक एकता नहीं, बल्कि आने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के लिहाज से एक संभावित गठबंधन की ओर भी इशारा करता है। दोनों दलों के कार्यकर्ता भी इस पुनर्मिलन से उत्साहित नजर आए थे।


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