
राज्यसभा में CISF विवाद पर गरमाया माहौल, मल्लिकार्जुन खड़गे बनाम सरकार में तीखी बहस
राज्यसभा में मंगलवार को उस समय फिर से हंगामा खड़ा हो गया जब सदन की कार्यवाही के दौरान CISF कर्मियों की कथित मौजूदगी को लेकर विपक्ष और सत्ता पक्ष आमने-सामने आ गए। उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा उन्हें लिखे पत्र को मीडिया में सार्वजनिक करने पर आपत्ति जताई और इसे नियमों का उल्लंघन करार दिया।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने पत्र को लेकर सफाई दी
हालांकि, मल्लिकार्जुन खड़गे ने अपने पत्र को लेकर सफाई दी कि उन्होंने केवल विरोध जताने के लिए ऐसा किया। उन्होंने कहा, "मैंने आपको पत्र लिखा था जिसमें विपक्षी दलों की ओर से सदन में CISF की मौजूदगी पर चिंता जाहिर की थी। जब सदस्य लोकतांत्रिक तरीके से विरोध जता रहे थे, उस वक्त सुरक्षा बलों को वेल में लाना चौंकाने वाला था।"
खड़गे ने तीखे शब्दों में कहा, "हमारी संसद को इस स्तर तक गिरा दिया गया है। यह बेहद आपत्तिजनक है और हम इसकी स्पष्ट निंदा करते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि भविष्य में ऐसा दोहराया नहीं जाएगा।"
विपक्ष के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा में नेता सदन जेपी नड्डा ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा, "मैंने 40 साल विपक्ष में रहकर काम किया है। इन्हें मुझसे ट्यूशन लेना चाहिए कि विपक्ष में रहकर व्यवहार कैसे किया जाता है।"
उन्होंने विपक्ष के विरोध प्रदर्शन की आलोचना करते हुए कहा, "लोकतंत्र में असहमति का तरीका होता है। यदि आप डंडा चलाते हैं और वह मेरी नाक पर लग जाए, तो वह लोकतंत्र नहीं, अराजकता कहलाएगी।"
किरेन रिजिजू का स्पष्टीकरण- "सदन में केवल मार्शल थे, कोई CISF नहीं"
इस मुद्दे पर सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया कि सदन में न तो CISF के जवान तैनात किए गए और न ही सेना या दिल्ली पुलिस के किसी कर्मी को बुलाया गया था। उन्होंने कहा, "जो भी सुरक्षाकर्मी सदन में मौजूद थे, वे संसद के नियमित मार्शल थे। नियमों के अनुसार, केवल मार्शल ही सदन में प्रवेश कर सकते हैं। विपक्ष ने तथ्यात्मक रूप से गलत आरोप लगाए हैं और संसद की गरिमा को ठेस पहुंचाई है।"
प्रेस कॉन्फ्रेंस में रिजिजू ने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष ने जानबूझकर मीडिया के जरिए गलत सूचना फैलाई और देश को गुमराह करने की कोशिश की।
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