
इंजीनियर राशिद की अंतरिम जमानत याचिका पर हाईकोर्ट सख्त, NIA से मांगा जवाब
दिल्ली हाई कोर्ट ने जम्मू कश्मीर के बारामूला से लोकसभा सांसद इंजीनियर राशिद की अंतरिम जमानत याचिका पर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को नोटिस जारी किया है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 जुलाई की तारीख निर्धारित की है। इंजीनियर राशिद ने संसद के मानसून सत्र में भाग लेने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी, जिसे पहले विशेष NIA अदालत ने खारिज कर दिया था। इससे पहले, दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को इंजीनियर राशिद को हिरासत में पैरोल की अनुमति दे दी थी, जिससे वह 24 जुलाई से 4 अगस्त तक संसद की कार्यवाही में शामिल हो सकें। अदालत ने यह अनुमति तिहाड़ जेल अधीक्षक की निगरानी में दी है।
उमर अब्दुल्ला को हराकर संसद बने इंजीनियर राशिद
पिछले साल हुए लोकसभा चुनावों में बारामूला सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में इंजीनियर रशीद ने तिहाड़ जेल में रहते हुए चुनाव लड़ा था। चुनाव प्रचार की ज़िम्मेदारी उनके बेटे और समर्थकों ने निभाई, जिन्होंने पूरे बारामूला संसदीय क्षेत्र में ज़ोरदार प्रचार अभियान चलाया।
रशीद ने नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के वरिष्ठ नेता और वर्तमान में जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को एक बड़े अंतर 2.05 लाख से अधिक वोटों से हराकर सभी को चौंका दिया था। इस सीट पर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन तीसरे स्थान पर रहे।
चुनाव में जीत के बाद रशीद को लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए कोर्ट से हिरासत में पैरोल मिली थी। इससे पहले भी वे जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कुपवाड़ा ज़िले के लंगेट विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रह चुके हैं।
क्यों जेल में इंजीनियर राशिद
गौरतलब है कि इंजीनियर राशिद को 2017 के आतंकी फंडिंग मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत NIA ने गिरफ्तार किया था। वे 2019 से तिहाड़ जेल में बंद हैं। इस मामले में उन पर आतंकवादी संगठनों को आर्थिक सहायता पहुंचाने का आरोप है। इंजीनियर रशीद का नाम उस समय सामने आया जब एनआईए ने कश्मीरी व्यवसायी जहूर वटाली के खिलाफ जांच शुरू की थी।
वटाली पर आरोप है कि उसने कश्मीर घाटी में आतंकी संगठनों और अलगाववादी समूहों को धन उपलब्ध कराया। इस मामले की जांच के दौरान रशीद की संलिप्तता के सुराग मिले।
एनआईए ने इस केस में यासीन मलिक, लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज सईद और हिजबुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन समेत कई आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। यासीन मलिक को अदालत ने 2022 में दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी।
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