यूपी में 5000 प्राइमरी स्कूल बंद, योगी सरकार क्यों प्राइमरी स्कूलों पर लगा रही ताला?

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने प्राथमिक स्कूलों को लेकर सूबे में पेयरिंग स्कीम लागू की है। बेसिक शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव दीपक कुमार ने 16 जून को एक आदेश जारी किया, जिसके अनुसार उत्तर प्रदेश में जिन प्राइमरी स्कूलों में बच्चों की संख्या 50 से कम है, उन्हें दूसरे स्कूलों में मर्ज किया जाएगा। इसके बाद सूबे के 27,264 प्राथमिक स्कूलों पर ताला लगने का ख़तरा मंडरा रहा है, जिनमें से लगभग 5,000 प्राइमरी स्कूल बंद करने की प्रक्रिया तक़रीबन पूरी हो चुकी है। लेकिन इस फ़ैसले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं — क्या बच्चों के घर से स्कूल की दूरी बढ़ेगी? अगर शिक्षक पद कम होंगे, तो शिक्षक भर्ती पर क्या असर पड़ेगा? साथ ही स्कूल के रसोइयों और कर्मचारियों का क्या होगा? सरकारी फ़रमान कागज़ों पर तो बच्चों के हित के दावे करता है, पर ज़मीनी हक़ीक़त समझने के लिए हम पहुंचे मेरठ। मेरठ में 19 स्कूलों को पेयर किया गया है। हम पहुंचे मेरठ के मिश्रीपुरा गांव, जहां का प्राथमिक स्कूल 2KM दूर महलका गांव के स्कूल में मर्ज हो रहा है। मिश्रीपुरा के अभिभावकों ने स्कूल से दूरी बढ़ने पर चिंता जताई।


5,000 प्राइमरी स्कूल बंद: “सरकार नहीं चाहती कि हमारे बच्चे पढ़ें”


राजकुमार कहते हैं — "2KM की दूरी बढ़ेगी, वो भी हाइवे का रास्ता है। बच्चे बहुत छोटे हैं, अकेले नहीं जा सकते। या तो हम अपना काम छोड़कर स्कूल छोड़ने जाएं, या बच्चों को पढ़ाई से रोक दें। हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं कि हम गाड़ी लगवा सकें।" पूनम कहती हैं — "अगर सरकार नहीं चाहती कि हमारे बच्चे पढ़ें, तो साफ़-साफ़ कह दे। ऐसा लगता है जैसे सरकार हमारे बच्चों को ग़ुलाम बनाना चाहती है।" जब हम मिश्रीपुरा से हाइवे पार करके महलका के स्कूल पहुंचे, तो तेज़ रफ़्तार से दौड़ती बड़ी-छोटी गाड़ियों को देखकर हमें अभिभावकों की चिंता सही लगी। महलका प्राथमिक विद्यालय के एक शिक्षक ने हमें बताया — "गांव के स्कूलों में ग़रीब और मज़दूरों के बच्चे ही पढ़ते हैं। स्कूलों का मर्जर बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर डालेगा। ये बच्चे दूर के स्कूल नहीं जा पाएंगे और मजबूरी में खेतों या ईंट-भट्ठों पर मज़दूरी करेंगे। इसका असर उनके पूरे भविष्य पर पड़ेगा।"

इसी साल फरवरी में केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया था कि पिछले 10 वर्षों में देश भर में लगभग 89 हज़ार सरकारी स्कूल बंद हुए हैं, जिनमें से 25 हज़ार उत्तर प्रदेश में हैं। स्कूलों के मर्जर के आदेश से प्रदेश के 27,000 परिषदीय विद्यालय प्रभावित होंगे, जिससे 1,35,000 सहायक शिक्षक और 27,000 प्रधानाध्यापक पदों पर भी ख़तरा है। शिक्षामित्रों और रसोइयों की सेवाएं भी ख़त्म होने की आशंका है।

बंसीपुरा विद्यालय में ताला, बच्चों की पढ़ाई अधर में


हम पहुंचे मेरठ के बंसीपुरा गांव, जहां के प्राथमिक स्कूल पर ताला लग चुका है। यह स्कूल अब 1.5KM दूर अख़्तियारपुर गांव में मर्ज हो चुका है। महक की 10 वर्षीय बेटी जो 3rd क्लास में पढ़ती थी, अब दूसरे गांव जाती है। महक कहती हैं — "बच्चों को दूर पैदल जाना पड़ता है, जिससे पढ़ाई में रुकावट आती है और वो थक जाते हैं। सरकार अगर वाहन की सुविधा दे दे, तो हमें भी चिंता न हो।"

रवि रंजन कहते हैं — "जो ग़रीब हैं, वो बच्चों को प्राइवेट स्कूल नहीं भेज सकते। सरकार को प्राइवेट स्कूल बंद करने चाहिए। हमारे बच्चे पढ़ेंगे तो सरकार से सवाल पूछेंगे — शायद इसी वजह से सरकार उन्हें अनपढ़ रखना चाहती है।" बंसीपुरा प्राथमिक स्कूल के प्रभारी ने बताया — "हमने बच्चों को गांव से स्कूल लाने-ले जाने के लिए मिनी ऑटो लगाया है, जिसका ख़र्च हम खुद उठा रहे हैं। अभी 17 बच्चे आते हैं, अगर ऑटो न लगवाते तो नामांकन पर असर पड़ता, कई अभिभावक बच्चों को भेजते ही नहीं।"

सरकार के मर्जर प्लान के ख़िलाफ़ सीतापुर के 51 बच्चों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने इस आदेश को ग़ैरकानूनी, शिक्षा के अधिकारों और अनुच्छेद 21A का उल्लंघन बताया था। लेकिन 7 जुलाई को जस्टिस पंकज भाटिया ने याचिका ख़ारिज करते हुए सरकार के पक्ष में फ़ैसला दिया।

शिक्षक भर्ती पर भी संकट, लाखों पद खाली


इस समय उत्तर प्रदेश में 1,92,000 शिक्षक पद ख़ाली हैं। 2018 के बाद कोई शिक्षक भर्ती नहीं निकली है। नई मर्जर नीति से सरप्लस शिक्षकों की संख्या और बढ़ेगी, जिससे भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं के मन में कई सवाल हैं। शिक्षक बनने की तैयारी कर रहे नायाब कहते हैं — "स्कूल मर्जर नीति न सिर्फ़ ‘राइट टू एजुकेशन’ का उल्लंघन है, बल्कि इससे नई शिक्षक भर्तियों की संभावनाएं भी खत्म हो रही हैं। अब पुराने स्कूलों को आंगनबाड़ी में बदलने की बात हो रही है, जिससे नई वैकेंसी नहीं आएगी।"

नायाब आगे कहते हैं — "पिछले 7– 8 साल से शिक्षक भर्ती रुकी हुई है। D.El.Ed, B.Ed, TET पास युवा या तो दूसरे राज्यों में नौकरी कर रहे हैं या प्राइवेट स्कूलों में कम सैलरी पर गुज़ारा कर रहे हैं। इससे मानसिक और आर्थिक तनाव लगातार बढ़ रहा है। सरकार शिक्षा और रोज़गार दोनों मोर्चों पर विफल साबित हो रही है।" इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक, लखनऊ हाईकोर्ट ने सीतापुर के 51 बच्चों की याचिका पर सुनवाई करते हुए स्कूलों के मर्जर पर अस्थायी रोक लगा दी है। यह आदेश फ़िलहाल केवल सीतापुर के लिए है। कोर्ट ने कहा — "पुरानी व्यवस्था बहाल कीजिए।" अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी।

जिस समाज में शिक्षा की पहुँच सीमित होती है, वहां ज्ञान अमीरों का हथियार और ग़रीबों की बेड़ियां बन जाता है। और आज जब गांव की पाठशालाएं बंद हो रही हैं, तब हम एक पूरी पीढ़ी को साइलेंट क्राउड बना रहे हैं — जिन्हें लोकतंत्र में सिर्फ़ वोट देना सिखाया जाएगा, सोचना नहीं।

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