
मोदी-स्टार्मर मुलाकात के साथ भारत-ब्रिटेन FTA पर मुहर, व्यापार और निवेश को मिलेगा बढ़ावा
कई वर्षों की बातचीत और प्रयासों के बाद भारत और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के बीच बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौता (Free Trade Agreement - FTA) आखिरकार संपन्न हो गया है। लंदन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री किएर स्टॉर्मर के बीच हुई महत्वपूर्ण बैठक में इस ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह डील न केवल दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों को नई ऊंचाई देगी, बल्कि निवेश, व्यापार और रोजगार के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व संभावनाओं के द्वार खोलेगी।
भारत-ब्रिटेन FTA पर मुहर: कंपनियों को मिलेंगे नए बाजार
इस फ्री ट्रेड डील के तहत भारत को अपने 99 फीसदी निर्यात उत्पादों पर ब्रिटिश बाजार में टैक्स फ्री पहुंच हासिल होगी, जबकि भारत ब्रिटेन से आने वाले करीब 90 फीसदी उत्पादों पर आयात शुल्क या तो समाप्त करेगा या फिर उसे काफी हद तक कम कर देगा। इससे न केवल भारतीय कंपनियों को ब्रिटेन में प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलेगी, बल्कि उपभोक्ताओं को भी कई उत्पाद सस्ते दामों पर उपलब्ध होंगे।
एफटीए के दायरे में आने वाले उत्पादों में इलेक्ट्रॉनिक्स, कपड़े, मरीन प्रोडक्ट्स, स्टील, मेटल, व्हिस्की और ज्वेलरी जैसे सामान शामिल हैं, जिनकी कीमतों में गिरावट आ सकती है। दूसरी ओर, कुछ उत्पादों जैसे कृषि सामग्री, कार और बाइक जैसे ऑटोमोबाइल और स्टील से संबंधित वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी संभव है। इससे उपभोक्ताओं के बजट पर मिला-जुला असर देखने को मिल सकता है।
यह समझौता आम नागरिकों के लिए भी कई मायनों में फायदेमंद साबित होगा। दवाइयों, इलेक्ट्रॉनिक्स और फैशन उत्पादों जैसी रोजमर्रा की आवश्यकताओं को अधिक किफायती बनाया जाएगा, वहीं रोजगार के नए अवसरों की भी संभावनाएं खुलेंगी।
दोनों देशों की कंपनियों को नए बाजार मिलेंगे और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समझौते को ‘वर्षों की कड़ी मेहनत का परिणाम’ बताते हुए कहा कि यह डील भारत की अर्थव्यवस्था को नई दिशा देगी। उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि अब भारतीय कृषि उत्पादों और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को ब्रिटेन जैसे प्रमुख बाजार में नई पहुंच मिलेगी। वस्त्र, चमड़ा, आभूषण, समुद्री उत्पाद और इंजीनियरिंग सेक्टर से जुड़ी वस्तुओं के लिए भी ब्रिटिश बाजार में बड़े अवसर उत्पन्न होंगे।
इस डील को लेकर बातचीत की शुरुआत जनवरी 2022 में तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के कार्यकाल में हुई थी। शुरुआत में लक्ष्य था कि इसे 2024 तक अंतिम रूप दे दिया जाए, लेकिन राजनीतिक बदलावों और विभिन्न जटिलताओं के कारण प्रक्रिया लंबी चली। अब जबकि यह समझौता हो गया है, भारत और ब्रिटेन दोनों ही इसे वैश्विक मंच पर एक सकारात्मक और रणनीतिक साझेदारी के रूप में देख रहे हैं।
संक्षेप में कहें तो भारत-यूके फ्री ट्रेड एग्रीमेंट न केवल व्यापारिक हितों का विस्तार करेगा, बल्कि रोजगार, निवेश और जीवन स्तर को भी बेहतर बनाने की दिशा में एक अहम कदम सिद्ध होगा।
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