जगदीप धनखड़ ने कार्यकाल से पहले छोड़ा पद, पहले भी दो उपराष्ट्रपति कर चुके हैं ऐसा

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजे पत्र में कहा कि वे अब अपनी स्वास्थ्य सेवा को प्राथमिकता देना चाहते हैं। संविधान के अनुच्छेद 67(क) के तहत दिया गया यह इस्तीफा तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। धनखड़ ने 11 अगस्त 2022 को देश के 14वें उपराष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला था। उनका कार्यकाल वर्ष 2027 तक था, लेकिन समय से पहले इस्तीफा देकर वे देश के इतिहास में ऐसे तीसरे उपराष्ट्रपति बन गए हैं जिन्होंने कार्यकाल पूरा नहीं किया।


इतिहास में कब-कब उपराष्ट्रपतियों ने पूरा नहीं किया कार्यकाल


जगदीप धनखड़ ऐसे तीसरे उपराष्ट्रपति बन गए हैं, जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पद छोड़ने का फैसला किया है। इससे पहले 1997 में उपराष्ट्रपति कृष्णकांत का कार्यकाल के दौरान निधन हो गया था। उन्होंने 21 अगस्त 1997 को उपराष्ट्रपति पद की शपथ ली थी और 27 जुलाई 2002 को उनका निधन हुआ, जिससे उनका कार्यकाल अधूरा रह गया। इससे पहले वर्ष 1974 में उपराष्ट्रपति बी.डी. जत्ती ने कार्यकाल समाप्त होने से पहले इस्तीफा दिया था। हालांकि, उन्होंने यह इस्तीफा अंतरिम राष्ट्रपति की जिम्मेदारी निभाने के लिए दिया था। इसके अलावा भारत के उपराष्ट्रपति वराहगिरि वेंकट गिरि ने 1969 में राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ने हेतु उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था। अब जगदीप धनखड़ ने  स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए पद से इस्तीफा दे दिया है। 

धनखड़ के इस इस्तीफ़े को लेकर विपक्षी दलों में राजनीतिक आशंका जताई जा रही है। कई नेताओं ने इसे महज स्वास्थ्य कारणों से जुड़ा मामला नहीं माना है। महाराष्ट्र से सांसद संजय राउत ने कहा कि “यह कोई सामान्य घटना नहीं है, दिल्ली की राजनीति में कुछ बड़ा होने वाला है।”

जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर कैसा रहा?


जगदीप धनखड़ का राजनीतिक सफर बेहद दिलचस्प और विविधताओं से भरा रहा है। उन्होंने 1989 में झुंझुनू लोकसभा सीट से जनता दल के टिकट पर चुनाव जीतकर सक्रिय राजनीति में कदम रखा और इसके साथ ही सार्वजनिक जीवन की एक लंबी यात्रा शुरू हुई। वर्ष 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के कार्यकाल में उन्हें संसदीय कार्य राज्य मंत्री बनाया गया, जहां उन्होंने सरकार और विधानमंडल के बीच समन्वय की अहम भूमिका निभाई। इसके बाद, 1993 से 1998 तक उन्होंने राजस्थान विधानसभा में किशनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। इस दौरान वे लगातार राजनीतिक रूप से सक्रिय बने रहे और विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ उनका जुड़ाव रहा। वे जनता दल और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जैसे दलों से होते हुए अंततः भारतीय जनता पार्टी में शामिल हुए। उनके अनुभव, राजनीतिक पकड़ और सक्रिय भूमिका को देखते हुए जुलाई 2019 में उन्हें पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया।

जुलाई 2019 में जगदीप धनखड़ को पश्चिम बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया, और इस भूमिका में उनका कार्यकाल लगातार राजनीतिक चर्चा के केंद्र में रहा। राज्य में रहते हुए वे अक्सर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार के साथ टकराव की स्थिति में नजर आए। संघवाद, विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्तियों और कानून-व्यवस्था जैसे मुद्दों पर उनके और राज्य सरकार के बीच तीखे मतभेद उभरे। इन घटनाक्रमों के चलते विपक्षी दलों और आलोचकों ने उन पर संवैधानिक मर्यादाओं को लांघने के आरोप लगाए। 

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