बहुमत गया, कुर्सी नहीं! जापान के प्रधानमंत्री इशिबा पर इस्तीफे का दबाव

जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा को बड़ा राजनीतिक झटका लगा है। उनकी लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) और सहयोगी कोमेटो पार्टी का सत्तारूढ़ गठबंधन 248 सीटों वाले उच्च सदन (हाउस ऑफ काउंसलर्स) में बहुमत हासिल करने में असफल रहा है। रविवार को हुए चुनाव में गठबंधन को बहुमत के लिए कम-से-कम 50 अतिरिक्त सीटों की आवश्यकता थी। गठबंधन के पास पहले से 75 सीटें थीं, लेकिन वह केवल 47 नई सीटें ही जीत पाया बहुमत से तीन सीट कम। यह 1955 में एलडीपी की स्थापना के बाद पहली बार है जब पार्टी ने दोनों सदनों पर नियंत्रण खो दिया है।


प्रधानमंत्री इशिबा ने इस्तीफा देने से किया इनकार


हालांकि इस पराजय के बावजूद प्रधानमंत्री इशिबा ने इस्तीफा देने की किसी योजना से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि वह अमेरिकी टैरिफ जैसे अहम मुद्दों पर काम जारी रखेंगे और जापान के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेंगे। मतदान परिणामों पर प्रतिक्रिया देते हुए इशिबा ने कहा, "मैं इस मुश्किल जनादेश को गंभीरता से लेता हूं।" हालांकि उन्होंने इस्तीफे का कोई संकेत नहीं दिया और सीधे अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता की चर्चा करने लगे। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अब इशिबा को या तो नए गठबंधन सहयोगियों की तलाश करनी होगी या फिर पार्टी और जनता के बढ़ते दबाव में इस्तीफा देना पड़ सकता है।

इस चुनाव में दक्षिणपंथी पॉपुलिस्ट पार्टियों को अप्रत्याशित बढ़त मिली है। दूर-दक्षिणपंथी सैंसेइतो पार्टी ने केवल एक सीट से छलांग लगाते हुए 14 सीटें जीतीं। वहीं केंद्र-दक्षिणपंथी डेमोक्रेटिक पार्टी को 22 सीटें और मुख्य विपक्षी संवैधानिक डेमोक्रेटिक पार्टी को 37 सीटें मिलीं। जनता में महंगाई और अमेरिकी टैरिफ के खतरे को लेकर नाराज़गी देखी गई, जो सत्ताधारी गठबंधन के खिलाफ वोटिंग में झलकी।

इशिबा से पहले एलडीपी के तीन प्रधानमंत्रियों ने ऊपरी सदन में बहुमत गंवाने के दो महीने के भीतर इस्तीफा दिया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं, क्या इशिबा भी उसी राह पर चलेंगे? इशिबा एलडीपी के भीतर भी कभी ज़्यादा लोकप्रिय नहीं रहे हैं, और हाल के वर्षों में पार्टी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों ने मतदाताओं का भरोसा और कमज़ोर किया है। अब अगर इशिबा हटते हैं तो नया नेतृत्व कौन होगा — यह भी एक असमंजस भरा सवाल है, क्योंकि सरकार को कानून पास कराने के लिए विपक्ष के समर्थन की भी जरूरत होगी।

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