
जमीन के बदले नौकरी’ मामला: सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, लालू यादव को झटका
'नौकरी के बदले ज़मीन' घोटाले में राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। देश की सर्वोच्च अदालत ने इस मामले में उनके खिलाफ निचली अदालत में चल रही कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने लालू यादव को व्यक्तिगत पेशी से छूट दी है, जिससे उन्हें आंशिक राहत जरूर मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट को इस मामले की सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश भी दिया है।
इससे पहले लालू यादव ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट ने कहा था कि कार्यवाही पर रोक लगाने का कोई ठोस आधार नहीं है। इसके साथ ही सीबीआई को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई 12 अगस्त 2025 को तय की गई थी।
लालू यादव की याचिका में क्या कहा गया था?
लालू यादव ने अपनी याचिका में सीबीआई द्वारा 2022, 2023 और 2024 में दर्ज एफआईआर और दायर चार्जशीट को रद्द करने की मांग की थी। उनका तर्क था कि यह मामला 14 साल पुराने घटनाक्रम पर आधारित है और पहले की गई प्रारंभिक जांच के बाद क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की जा चुकी थी।
याचिका में कहा गया कि पुरानी जांच और क्लोजर रिपोर्ट को दबाकर दोबारा नई जांच शुरू करना कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। लालू ने इसे "निष्पक्ष जांच के मौलिक अधिकार का उल्लंघन" करार दिया और कहा कि नई जांच बिना आवश्यक सरकारी स्वीकृति के शुरू की गई है, जो उसे अवैध बनाती है।
यह मामला उस समय का है जब लालू प्रसाद यादव 2004 से 2009 तक रेल मंत्री थे। आरोप है कि इस दौरान रेलवे में ग्रुप-डी की भर्तियों के बदले उम्मीदवारों या उनके परिवारों से जमीन के टुकड़े अपने या अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर लिखवाए गए। सीबीआई के अनुसार, कई लोगों ने मुफ्त में या बेहद कम कीमत पर जमीन हस्तांतरित की।
इस घोटाले को लेकर 18 मई 2022 को सीबीआई ने लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, दो बेटियों और कुछ अज्ञात सरकारी अधिकारियों व निजी व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी।
इस घोटाले से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच में भी ईडी सक्रिय है। 14 मई 2025 को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने दिल्ली की अदालत को बताया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लालू यादव के खिलाफ मुकदमा चलाने की अनुमति दे दी है। यह अनुमति सीआरपीसी की धारा 197(1) के तहत दी गई है, जो अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के अंतर्गत आती है।
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