
चुनाव आयोग को TDP की चिट्ठी, SIR को नागरिकता सत्यापन से अलग रखने की मांग
तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने भारत निर्वाचन आयोग (ECI) को पत्र लिखकर बिहार में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) अभियान की भूमिका और उद्देश्य स्पष्ट करने की मांग की है। पार्टी ने कहा कि इस अभियान का मक़सद केवल मतदाता सूची का अद्यतन और पात्र मतदाताओं को जोड़ना होना चाहिए, न कि इसे नागरिकता सत्यापन अभियान के रूप में चलाया जाए। TDP ने ECI से आग्रह किया है कि वह सार्वजनिक रूप से यह स्पष्ट करे कि SIR का नागरिकता जांच से कोई संबंध नहीं है। साथ ही आयोग द्वारा राज्य और ज़िला स्तर पर जारी सभी दिशा-निर्देशों में इस अंतर को स्पष्ट रूप से दर्शाया जाए।
मतदाताओं में भ्रम और डर फैला रहा है SIR अभियान
पार्टी के पत्र में कहा गया, “SIR को नागरिकता सत्यापन की प्रक्रिया के रूप में गलत समझा जा रहा है, जिससे विशेष रूप से ग्रामीण और गरीब समुदायों में भ्रम और भय का वातावरण बन रहा है।”
TDP ने यह भी रेखांकित किया कि बिहार में बड़ी संख्या में लोगों के पास बुनियादी दस्तावेज जैसे जन्म प्रमाणपत्र, पासपोर्ट या स्कूल प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं हैं, जिससे उनके मतदाता अधिकार प्रभावित हो सकते हैं।
भारत निर्वाचन आयोग ने 24 जून, 2025 को बिहार में SIR की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करना है। यह अभियान 25 जून से 30 सितंबर तक चलेगा। ECI का कहना है कि यह कवायद उन लोगों के नाम हटाने के लिए जरूरी है जो अवैध प्रवासी हैं और मतदाता सूची में गलती से शामिल हो गए हैं।
आयोग ने दावा किया कि बूथ लेवल अधिकारियों (BLOs) द्वारा किए जा रहे घर-घर सर्वेक्षण में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों के नागरिकों के नाम भी सूची में पाए गए हैं, जिन्हें हटाया जाएगा।
इस अभियान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दाखिल की गई हैं। याचिकाकर्ताओं में राजद सांसद मनोज झा, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) जैसी संस्थाएं शामिल हैं। इन याचिकाओं में SIR को असंवैधानिक बताते हुए इसे मतदाता अधिकारों के विरुद्ध करार दिया गया है।
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