SC ने जताई नाराज़गी, कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानों में QR कोड लगाने पर मांगा राज्यों से स्पष्टीकरण

कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित दुकानों में QR कोड लगाने और विक्रेताओं की पहचान उजागर करने के निर्देश को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने दोनों राज्यों से 22 जुलाई तक जवाब मांगा है। मंगलवार को हुई सुनवाई में न्यायमूर्ति एम.एम. सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने शिक्षाविद् अपूर्वानंद झा और अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया।


कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित दुकानों में क्यूआर कोड

यूपी सरकार की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा गया, जिस पर याचिकाकर्ता के वकील ने आपत्ति जताते हुए कहा कि तब तक तो कांवड़ यात्रा समाप्त हो जाएगी, जिससे याचिका का उद्देश्य ही विफल हो जाएगा।

याचिका में 25 जून को जारी उत्तर प्रदेश सरकार के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें कांवड़ मार्ग पर सभी दुकानों और भोजनालयों पर क्यूआर कोड प्रदर्शित करना अनिवार्य किया गया है। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि इससे दुकान मालिकों की धार्मिक या सामाजिक पहचान उजागर होती है, जो असंवैधानिक और भेदभावपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले भी इस तरह के भेदभाव पर रोक लगा चुका है। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 जुलाई की तारीख तय की है और दोनों राज्य सरकारों से स्पष्ट जवाब मांगा है कि इस आदेश की जरूरत क्यों पड़ी और क्या यह संवैधानिक मानकों पर खरा उतरता है।

राज्य सरकार के निर्देश के अनुसार, स्टॉल मालिकों को कानूनी लाइसेंस संबंधी आवश्यकताओं के तहत अपनी धार्मिक और जातीय पहचान उजागर करनी होगी। याचिका में तर्क दिया गया है कि यह प्रावधान दुकानदारों, ढाबा और रेस्तरां संचालकों के निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है और संविधान प्रदत्त समानता के सिद्धांत के खिलाफ है।"

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