
केरल की नर्स निमिषा प्रिया को मिली राहत, यमन में फांसी पर फिलहाल रोक
भारतीय मूल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी की सजा पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। यमन की एक अदालत ने निमिषा को एक यमनी नागरिक की हत्या के मामले में मृत्युदंड की सजा सुनाई थी और उसे 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जानी थी। लेकिन भारत सरकार के लगातार प्रयासों और कूटनीतिक बातचीत के चलते फांसी पर स्थगन लगा दिया गया है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, निमिषा पिछले आठ वर्षों से यमन की सना सेंट्रल जेल में कैद है। वर्ष 2017 में गिरफ्तारी के बाद, 2020 में अदालत ने उसे दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी।
भारत सरकार के प्रयासों से टली निमिषा प्रिया की फांसी
विदेश मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, भारत सरकार शुरुआत से ही इस मामले में सक्रिय रही है। हाल ही में निमिषा के परिवार को यमनी नागरिक के परिजनों के साथ सुलह की बातचीत के लिए और समय देने की मांग की गई थी।
भारतीय अधिकारी यमन के स्थानीय प्रशासन, सना जेल प्राधिकरण और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के संपर्क में हैं। इन राजनयिक प्रयासों की बदौलत ही 16 जुलाई को होने वाली फांसी पर रोक लग पाई है। सरकार अब भी सभी संभावनाओं पर काम कर रही है ताकि निमिषा की जान बचाई जा सके।
निमिषा प्रिया, केरल के पलक्कड़ ज़िले की रहने वाली एक प्रशिक्षित नर्स हैं। वह 2008 में नौकरी के लिए यमन गई थीं और बाद में एक यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी के साथ मिलकर एक निजी अस्पताल शुरू किया।
हालाँकि, बाद में दोनों के बीच व्यावसायिक और व्यक्तिगत संबंधों में तनाव पैदा हो गया। निमिषा ने महदी पर पैसे चुराने, पासपोर्ट जब्त करने, और शारीरिक एवं मानसिक उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था।
वर्ष 2017 में, भारत लौटने के लिए जब निमिषा ने महदी से अपना पासपोर्ट मांगा, तो उसने देने से इनकार कर दिया। इसके बाद, निमिषा ने महदी को नशे का इंजेक्शन देकर पासपोर्ट हासिल कर लिया, लेकिन ड्रग ओवरडोज से उसकी मौत हो गई।
मामले को छिपाने के लिए निमिषा और उसके एक सहयोगी ने महदी के शव के टुकड़े कर पानी की टंकी में डाल दिए। पुलिस जांच में यह मामला सामने आया और निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया।
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