भारत ने अफगान संकट पर यूएन में नहीं डाला वोट, पी. हरीश ने दी ठोस कार्रवाई की वकालत

संयुक्त राष्ट्र महासभा में अफगानिस्तान की स्थिति पर जर्मनी द्वारा पेश किए गए मसौदा प्रस्ताव पर भारत ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। भारत ने अपने निर्णय के पीछे यह तर्क दिया कि जब तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय नई और ठोस रणनीति नहीं अपनाता, तब तक अफगान जनता के जीवन में वह बदलाव नहीं आ सकता जिसकी वैश्विक स्तर पर उम्मीद की जाती है। यह प्रस्ताव अफगानिस्तान में बिगड़ती मानवीय स्थिति, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों के हनन, बढ़ती हिंसा और राजनीतिक समावेशन की कमी पर गहरी चिंता जताता है। इसे 116 देशों ने समर्थन दिया, जबकि दो देशों ने विरोध किया और 12 देशों ने वोटिंग से दूरी बनाई, जिनमें भारत भी शामिल था।



संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि डॉ. पर्वतनेनी हरीश ने महासभा में बोलते हुए कहा, “कोई भी युद्धोत्तर रणनीति केवल दंडात्मक उपायों पर आधारित नहीं हो सकती। ऐसे मामलों में सकारात्मक प्रोत्साहन भी उतना ही आवश्यक होता है। अफगानिस्तान में तालिबान के अगस्त 2021 में सत्ता में आने के बाद से अब तक कोई नई अंतरराष्ट्रीय पहल नहीं दिखाई दी है, जो मौजूदा मानवीय संकट से निपटने में सक्षम हो।” हरीश ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवादी संगठनों जैसे अल-कायदा, आईएसआईएल, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को अफगान भूमि के इस्तेमाल से रोकने के लिए मिलकर काम करना होगा।

भारत ने यह स्पष्ट किया कि अफगानिस्तान में उसकी नीति ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंधों पर आधारित है और भारत वहां स्थिरता और शांति को प्राथमिकता देता है। हरीश ने कहा, “भारत अफगान लोगों के साथ अपनी ऐतिहासिक मित्रता को ध्यान में रखते हुए उनके विकास में मदद करता रहेगा। अभी भी भारत द्वारा समर्थित 500 से अधिक विकास परियोजनाएं अफगानिस्तान में संचालित हो रही हैं।” उन्होंने यह भी बताया कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने हाल ही में अफगान कार्यवाहक विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी से बातचीत की, और भारत ने पहलगाम आतंकी हमले की तालिबान द्वारा की गई निंदा का स्वागत किया।


संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव में अफगानिस्तान में तालिबान शासन के तहत मानवाधिकार उल्लंघनों, विशेष रूप से महिलाओं और लड़कियों पर लगाए गए प्रतिबंधों की निंदा की गई है। इसमें अफगान धरती से विदेशी राजनयिक मिशनों और मानवीय संगठनों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील भी की गई है।

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