मध्य प्रदेश पत्रकार मारपीट मामला, सुप्रीम कोर्ट में वकील की जिद पर जज बोले- 'मैं भी जिद्दी हूं'

मध्य प्रदेश के एक थाने में दो पत्रकारों के साथ कथित मारपीट के मामले ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया गया है। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि लैंड माफिया से जुड़ी रिपोर्टिंग करने के चलते उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाने की कोशिश की जा रही है और गिरफ्तारी का खतरा मंडरा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई है और अगले सप्ताह सुनवाई की तारीख दी है। हालांकि, कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पहले यह पूछा कि उन्होंने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का रुख क्यों नहीं किया।


जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एससी शर्मा की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि पत्रकारों के साथ पुलिस थाने में मारपीट की गई और अब उन्हें गिरफ्तारी का डर है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मामले की अर्जेंट सुनवाई की मांग की। इस पर बेंच ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा, "अब क्या हमें पूरे देश के अग्रिम जमानत के मामले भी यहीं निपटाने होंगे क्योंकि सब सुप्रीम कोर्ट आ रहे हैं?" 

वकील ने दलील दी कि पत्रकार इस समय दिल्ली में हैं और उन्हें वहां से कुछ राहत मिली हुई है। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रेस क्लब ऑफ इंडिया समेत कई संस्थाएं इस घटना की सार्वजनिक रूप से निंदा कर चुकी हैं। वकील के बार-बार आग्रह पर सुप्रीम कोर्ट ने मामला सुनने पर सहमति जताई, लेकिन साथ ही यह भी चेतावनी दी कि अगर यह मामला उसी बेंच के सामने सुनवाई के लिए आया तो नतीजे याचिकाकर्ता के पक्ष में जरूरी नहीं होंगे। जस्टिस एससी शर्मा ने हल्के-फुल्के अंदाज़ में टिप्पणी करते हुए कहा, "मैं भी जिद्दी हूं। अगर ये मामला हमारी बेंच के सामने आया तो क्या निष्कर्ष होगा, आपको पता है।"  

मामला मई महीने का बताया जा रहा है, जिसमें दो पत्रकारों ने कथित तौर पर लैंड माफिया के खिलाफ रिपोर्टिंग की थी। इसके बाद पत्रकारों का आरोप है कि उन्हें थाने बुलाकर उनके साथ मारपीट की गई और अब उनके खिलाफ फर्जी केस दर्ज किए जाने का डर है।

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