
Jammu Kashmir: उपराज्यपाल का बड़ा एक्शन, आतंकी संगठनों से जुड़े तीन सरकारी कर्मचारी बर्खास्त
जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ चल रहे निर्णायक अभियान के तहत उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंगलवार को आतंकियों से जुड़े तीन सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया। ये कर्मचारी लश्कर-ए-तैयबा (LeT) और हिज्ब-उल-मुजाहिदीन (HM) जैसे आतंकी संगठनों के लिए काम कर रहे थे और वर्तमान में जेल में बंद हैं।
मनोज सिन्हा अगस्त 2020 में पदभार संभालने के बाद से ही आतंकियों के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए प्रतिबद्ध रहे हैं। उन्होंने सक्रिय आतंकवादियों के साथ-साथ ओवरग्राउंड वर्कर्स (OGWs) और सरकारी तंत्र में मौजूद उनके मददगारों के खिलाफ भी कठोर कदम उठाए हैं।
2020 से 2024 के बीच, सुरक्षाबलों ने सैकड़ों आतंकियों का सफाया किया और अनुच्छेद 311(2)(c) के तहत 75 से अधिक OGWs को नौकरी से बर्खास्त किया गया।
बर्खास्त कर्मचारियों की पहचान और भूमिका
मलिक इश्फाक नसीर – जम्मू-कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल था। उसका भाई लश्कर का आतंकी था, जो 2018 में मारा गया। इश्फाक खुद हथियारों की तस्करी से जुड़े मामले में 2021 में पकड़ा गया।
एजाज अहमद – स्कूल शिक्षा विभाग में शिक्षक था। पुंछ में हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के लिए हथियार, गोला-बारूद और नशीले पदार्थों की तस्करी में लिप्त पाया गया।
वसीम अहमद खान – श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज में जूनियर असिस्टेंट था। वह 2018 में पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या की साजिश में शामिल पाया गया।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन कर्मचारियों की मौजूदगी राष्ट्र की सुरक्षा और अखंडता के लिए गंभीर खतरा थी। उन्होंने आतंकियों को संवेदनशील जानकारी, रसद और सुरक्षा में सेंध की सुविधा प्रदान की। उपराज्यपाल ने नई भर्तियों के लिए पुलिस सत्यापन को अनिवार्य कर दिया है। आतंकी समर्थकों की पहचान और निष्कासन ने न केवल नेटवर्क को कमजोर किया है, बल्कि संभावित आतंकी सहयोगियों में भी डर पैदा किया है।
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