
अब्बास अंसारी को हेट स्पीच मामले में दो साल की सजा, फैसले को हाई कोर्ट में देंगे चुनौती
उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में हेट स्पीच के एक मामले में मऊ सदर से सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी और उनके चाचा मंसूर अंसारी को एमपी/एमएलए कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोनों पर 2-2 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। सजा के ऐलान के बाद विधायक अब्बास अंसारी ने मऊ की सीजेएम कोर्ट के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने की घोषणा की है। उनका कहना है कि मुकदमे में उन्हें पूरा मौका नहीं दिया गया और उनके पक्ष को पर्याप्त रूप से नहीं सुना गया। इसीलिए वे अब न्याय की गुहार लेकर उच्च न्यायालय का रुख करेंगे।
सजा को लेकर राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर थी कि क्या अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा है? भारतीय कानून के अनुसार, अगर किसी विधायक को दो साल से अधिक की सजा होती है, तो उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त हो सकती है। लेकिन कोर्ट ने उन्हें ठीक दो साल की सजा सुनाई है, जिससे उनकी विधानसभा सदस्यता फिलहाल सुरक्षित मानी जा रही है।
सजा को लेकर राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर थी कि क्या अब्बास अंसारी की विधानसभा सदस्यता पर खतरा मंडरा रहा है? भारतीय कानून के अनुसार, अगर किसी विधायक को दो साल से अधिक की सजा होती है, तो उसकी सदस्यता स्वतः समाप्त हो सकती है। लेकिन कोर्ट ने उन्हें ठीक दो साल की सजा सुनाई है, जिससे उनकी विधानसभा सदस्यता फिलहाल सुरक्षित मानी जा रही है।
यह मामला वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान का है, जब अब्बास अंसारी ने एक जनसभा में कथित तौर पर कहा था कि “सरकार बनने के बाद अफसरों से हिसाब लिया जाएगा।” इस बयान को आपराधिक धमकी और चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन माना गया।
उन्हें भारतीय दंड संहिता की कई धाराओं के तहत आरोपित किया गया था, जिनमें आपराधिक धमकी देना, चुनावी अधिकारों का दुरुपयोग, सरकारी कार्यों में बाधा डालना, जातीय वैमनस्य फैलाना और साजिश रचना शामिल हैं।
मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) डॉ. केपी सिंह ने अब्बास अंसारी, मंसूर अंसारी और उनके एक अन्य रिश्तेदार को दोषी ठहराया।
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