
सहारा इंडिया घोटाला विभिन्न संदर्भों में उपयोग होने वाली व्यापक उच्चाधिकारिक जांचों का एक नाम है। यह घोटाला भारतीय वित्तीय बाजार के प्रमुख समाचारों में 2010 और 2011 के दौरान छाया रहा। सहारा इंडिया घोटाला का मुख्य केंद्र उत्तर प्रदेश, भारत में स्थित सहारा इंडिया परिवार की कंपनी सहारा इंडिया परिवार लिमिटेड (Sahara India Parivar Limited) थी। इस कंपनी के अध्यक्ष सुभ्रतो राय (Subrata Roy) थे। सहारा इंडिया परिवार एक वित्तीय संस्थान के रूप में कार्य करता था और उसकी मुख्य गतिविधियों में सहारा इंडिया फाइनेंस (Sahara India Finance) और सहारा इंडिया नवनिर्माण (Sahara India Real Estate) शामिल थे।
इस घोटाले के दौरान, सहारा इंडिया परिवार को नियंत्रण करने वाली योग्यता और अधिकार प्राप्त करने के लिए उम्मीदवारों से नकद जमा करने की अपेक्षा की गई थी। इसके बाद, यह धार्मिक योग्यता प्रमाणपत्रों (धार्मिक व्यवस्थापकों के रूप में जाने जाते हैं) को नकदी के साथ उपयोग करके यात्रियों को नकद जमा करने की सरकारी अनुमति प्रदान करता था। इसके बाद, जमा यात्रियों को मान्यता प्राप्त करने के लिए योग्यता प्रमाणपत्रों का उपयोग किया जाता था। कुछ समय बाद, इस मॉडल
के बजाय वित्तीय निधियों को वास्तविक अवधारणा के रूप में लिए जाने शुरू हुए और सहारा इंडिया परिवार के द्वारा इकट्ठा की गई राशि की अस्वीकृति हुई। इसके परिणामस्वरूप, न्यायालयों में बहुत सारे मामले दाखिल किए गए और इस घोटाले के चश्मदीदों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हुई।

सहारा इंडिया घोटाला भारतीय वित्तीय इतिहास के एक बड़े और घोर घोटालों में से एक माना जाता है, जिसमें करोड़ों रुपये की धनराशि घोटालेबाज़ी के चक्र में फंसी थी। केंद्रीय एजेंसियों और न्यायिक प्रणाली ने इस मामले में कार्रवाई की है और उसने लंबे समय तक मामले की सुनवाई की है। सहारा इंडिया घोटाले (Sahara India Scam) के दौरान, सहारा इंडिया परिवार के मालिक सुभ्रतो राय और उनके साथी परिवारिक सदस्यों ने विभिन्न वित्तीय अपराधों के आरोप में गिरफ्तारी की गईं। इसमें धनबल संपत्ति के अपराध, नियमों का उल्लंघन, भ्रष्टाचार और धन स्वामित्व के मामलों में शामिल है। घोटाले के चश्मदीदों के द्वारा संचालित संस्थानों के निधि उद्धार और विनियमित करने के लिए कानूनी कार्रवाई की जाती रही है।
इस घोटाले के चश्मदीदों को कई संगठनों और न्यायिक प्रणालियों द्वारा मुकदमों में सुनवाई की गई है। साल 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश जारी किया कि सहारा इंडिया परिवार ने ग्राहकों के पास धन वापसी करने के लिए करीब 25,000 करोड़ रुपये जमा करें। इसके अलावा, कई विभाजनों और निगमों ने अपने निधि उद्धार के लिए संदर्भ दायर किए हैं।
यह घोटाला भारतीय वित्तीय प्रणाली के उजागर होने वाले असुविधाजनक मामलों में से एक है और इसने बड़ी संख्या में निवेशकों को प्रभावित किया है। यह मामला व्यापक जांच और न्यायिक प्रक्रिया के माध्यम से चल रहा है, और संबंधित अधिकारिक अभियांत्रिकी के आधार पर निर्णय लिया जाना था। अब सहारा इंडिया के निवेशकों के पैसे लौटाने के लिए केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) नई दिल्ली में 'सहारा रिफंड पोर्टल' (Sahara Refund Portal) लॉन्च करेंगे। 18 जुलाई यानी मंगलवार सुबह 11:00 बजे अटल ऊर्जा भवन में इस पोर्टल की शुरुआत होगी।

पोर्टल के जरिए सहारा के उन निवेशकों के पैसे वापस दिए जाएंगे जिनके निवेश की अवधि यानी समय सीमा पूरी हो चुकी है।
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