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Bangladesh first female Prime Minister : खालिदा जिया का निधन — एक युग का अंत।

 30 Dec 2025

Bangladesh first female Prime Minister : निधन की पुष्टि और घटनाक्रम


बांग्लादेश की राजनीति में आज एक बेहद संवेदनशील और ऐतिहासिक दिन रहा है, क्योंकि Bangladesh first female Prime Minister खालिदा जिया का निधन हो गया है। वे 80 वर्ष की आयु में लंबे समय से चल रही कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के बीच मंगलवार को ढाका के एवरकेयर अस्पताल में अपने चिकित्सकों के अनुसार सुबह लगभग 6 बजे अंतिम सांस लीं। उनकी पार्टी, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने यह जानकारी अपने आधिकारिक बयान में साझा की है, जिसमें बताया गया कि डॉक्टरों ने उन्हें फज़्र की नमाज़ के बाद मृत घोषित किया।

प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार खालिदा जिया को नवंबर में अस्पताल में भर्ती कराया गया था और 11 दिसंबर से उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। कई उम्र-सम्बंधी रोग जैसे लिवर सिरोसीस, डायबिटीज़, गठिया और हृदय तथा फेफड़ों की जटिलताओं ने उनके स्वास्थ्य को प्रभावित किया था। इलाज के दौरान कतर से एक विशेष विमान भी तैयार रखा गया था ताकि उन्हें लंदन ले जाया जा सके, लेकिन चिकित्सकीय बोर्ड ने उनकी हालत को देखते हुए एयरलिफ्ट की अनुमति नहीं दी।

खालिदा जिया के निधन की खबर से देश भर में शोक की लहर फैल गई है। ढाका से लेकर छोटे-छोटे कस्बों तक बांग्लादेशी नागरिक उनके निधन से भावुक हैं और उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार यह घटना न केवल एक व्यक्तिगत क्षति है, बल्कि बांग्लादेश की समकालीन राजनीति में भी एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देती है।

राजनीतिक करियर : संघर्ष, उपलब्धियाँ और विवाद


खालिदा जिया का राजनीतिक जीवन संघर्ष और उपलब्धियों से भरा रहा है, जिसने उन्हें Bangladesh first female Prime Minister के रूप में विश्व राजनीति में एक खास पहचान दी। उनका जन्म 15 अगस्त 1945 को हुआ था। राजनीति में उनका प्रवेश 1981 में उस समय हुआ जब उनके पति और बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान की हत्या हो गई थी। उनके पति की मौत के बाद खालिदा जिया ने राजनीति को अपना ध्येय बनाया और जल्द ही बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की कमान संभाल ली।

1991 में बांग्लादेश में लोकतांत्रिक शासन बहाल होने पर खालिदा जिया ने चुनावी राजनीति में कदम रखा और भारी लोकप्रियता के साथ सत्ता प्राप्त की। इसी वर्ष वे देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं, जिससे बांग्लादेश के लोकतांत्रिक इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा। वह 1991-96 तक और बाद में 2001-06 तक दो बार प्रधानमंत्री रहीं। उनके कार्यकालों में शिक्षा, युवा नीति और राष्ट्रीय आर्थिक सुधारों पर विशेष ध्यान दिया गया।

उनके शासनकाल के दौरान प्राथमिक शिक्षा को नि:शुल्क और अनिवार्य बनाया गया और लड़कियों के शिक्षा के लिए विशेष योजनाएं लागू की गईं। साथ ही, सरकार ने वैट (Value Added Tax) की शुरुआत, बैंक कंपनियों और वित्तीय संस्थानों के लिए नए नियम, तथा निजीकरण बोर्ड की स्थापना जैसी नीतिगत सुधारों को भी लागू किया।

हालांकि, उनके राजनीतिक जीवन में विवाद भी कम नहीं रहे। उनके कार्यकाल में धार्मिक उग्रवाद, भ्रष्टाचार के आरोप और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के साथ संघर्ष ने कई बार देश में अस्थिरता को जन्म दिया। 2006 में सत्ता से हटने के बाद उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करना पड़ा और कुछ समय के लिए कारावास भी झेलना पड़ा, लेकिन 2025 में अधिकांश मामलों से उन्हें मुक्त कर दिया गया।

उनकी राजनीतिक यात्रा खास तौर पर उनकी लंबे समय चली प्रतिद्वंद्विता के कारण भी जानी जाती है, जो शेख हसीना के साथ रही। दोनों नेताओं के बीच दक्षिण एशिया की राजनीति में “दो बेगमों” की विवादास्पद कहानी के रूप में व्यापक चर्चा रही।

निधन का प्रभाव : राजनीतिक परिदृश्य और उत्तरजीविता


खालिदा जिया के निधन का प्रभाव बांग्लादेश की राजनीति पर तुरंत और दीर्घकालिक दोनों तरह से देखा जा रहा है। उनके निधन के कुछ ही दिन पहले उनके नाम से चुनावी दस्तावेज़ भी दाखिल किए गए थे, जिससे यह संकेत मिलता है कि उन्होंने आख़िर तक राजनीतिक भूमिका निभाने का इरादा रखा था। उनके बेटे तथा BNP के कार्यवाहक अध्यक्ष तरीक रहमान ने पार्टी की अगुवाई संभाली है और वे फरवरी 2026 के आम चुनावों में प्रमुख चेहरे के रूप में उभर रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि Bangladesh first female Prime Minister की अनुपस्थिति में पार्टी को नई रणनीतियों और संभावित नेतृत्व बदलावों का सामना करना होगा। मुख्य विपक्षी दल के रूप में BNP की भूमिका भी बदल सकती है, क्योंकि खालिदा की छवि पार्टी की पहचान और राजनीतिक ताकत का मूल हिस्सा रही है।

विश्व भर के नेताओं और राजनयिकों ने भी खालिदा जिया के निधन पर शोक व्यक्त किया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी यादगार मुलाकात की पुरानी तस्वीरें साझा करते हुए खालिदा जिया को श्रद्धांजलि दी और बांग्लादेश की जनता के प्रति संवेदना प्रकट की। यह दिखाता है कि उनका प्रभाव सिर्फ बांग्लादेश तक ही सीमित नहीं था बल्कि अंतरराष्ट्रीय रिश्तों में भी विशिष्ट स्थान रखता था।

उनके निधन को “एक युग का अंत” कहा जा रहा है, क्योंकि उन्होंने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को सुदृढ़ बनाने, महिला नेतृत्व को स्थापित करने और दक्षिण एशियाई राजनीति में एक मजबूत धक्का देने का काम किया। इसी कारण से उनकी राजनीतिक विरासत को याद किया जाएगा और आगामी चुनौतियों में भी उनका नाम उभरता रहेगा।