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मनमोहन सिंह की विरासत: भारत के लिए उनके योगदान को याद किया जाता है
26 Dec 2025
26 दिसंबर को एक नेता को याद किया गया
26 दिसंबर भारत के राजनीतिक इतिहास में एक भावनात्मक तारीख के रूप में दर्ज है। इसी दिन देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को याद किया जाता है, जिन्होंने अपने शांत स्वभाव, ईमानदारी और दूरदर्शी सोच से भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दी। मनमोहन सिंह का भारत के प्रति योगदान केवल नीतियों तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने राजनीति में शालीनता और बौद्धिक नेतृत्व की मिसाल पेश की। वे ऐसे नेता थे जो शब्दों से कम और काम से ज़्यादा बोलते थे। उनकी सादगी और गंभीरता आज भी उन्हें बाकी नेताओं से अलग पहचान दिलाती है।
एक अर्थशास्त्री जिन्होंने भारत के आर्थिक पथ को बदल दिया
डॉ. मनमोहन सिंह का राजनीतिक जीवन विद्वत्ता और नीति निर्माण का अनूठा संगम था। एक अर्थशास्त्री के रूप में उन्होंने भारत की आर्थिक सोच को वैश्विक स्तर पर मजबूती दी। 1991 में वित्त मंत्री रहते हुए शुरू किए गए आर्थिक सुधारों ने भारत को बंद अर्थव्यवस्था से निकालकर उदारीकरण की राह पर आगे बढ़ाया। इन सुधारों को आज भी मनमोहन सिंह का भारत के प्रति योगदान की सबसे मजबूत आधारशिला माना जाता है, जिसने देश की आर्थिक प्रगति की नींव रखी।
प्रधानमंत्री का कार्यकाल और कल्याणकारी सुधार
प्रधानमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल 2004 से 2014 तक रहा। इस दौरान उन्होंने गठबंधन राजनीति की जटिलताओं के बीच भी स्थिरता बनाए रखी। मनमोहन सिंह का नेतृत्व आक्रामक नहीं बल्कि संतुलित था। शिक्षा, सूचना का अधिकार (RTI), मनरेगा और खाद्य सुरक्षा जैसे ऐतिहासिक कानून उनके कार्यकाल की बड़ी उपलब्धियों में शामिल रहे। इन जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से मनमोहन सिंह का भारत के प्रति योगदान आम नागरिकों के जीवन से सीधे जुड़ता है।
शांत शक्ति और संसदीय गरिमा
उनकी सबसे बड़ी ताकत उनका शांत और विनम्र व्यक्तित्व था। संसद में वे अक्सर कम बोलते थे, लेकिन जब बोलते थे तो तथ्यों और तर्कों के साथ। आलोचक उन्हें “मौन प्रधानमंत्री” कहते थे, लेकिन समर्थकों का मानना था कि उनकी चुप्पी परिपक्वता और आत्मविश्वास का प्रतीक थी। वे राजनीति को शोर नहीं, जिम्मेदारी मानते थे।
भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत करना
अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उन्होंने भारत की छवि एक गंभीर और भरोसेमंद देश के रूप में स्थापित की। अमेरिका के साथ परमाणु समझौता उनके कार्यकाल का साहसिक निर्णय था, जिसने भारत की वैश्विक स्थिति को मजबूत किया। इस फैसले ने एक बार फिर मनमोहन सिंह का भारत के प्रति योगदान को वैश्विक स्तर पर रेखांकित किया।
शक्ति से परे सादगी
व्यक्तिगत जीवन में भी वे सादगी के प्रतीक थे। सत्ता में रहते हुए भी उनका रहन-सहन आम नागरिक जैसा ही रहा। यही कारण है कि राजनीतिक मतभेदों के बावजूद, सभी दलों के नेता उनके व्यक्तित्व का सम्मान करते थे।
निष्कर्ष: एक ऐसी विरासत जो प्रेरणा देती रहती है
डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान भारतीय लोकतंत्र और अर्थव्यवस्था के लिए अमूल्य है। वे भले ही आज हमारे बीच न हों, लेकिन Manmohan Singh contribution to India आने वाली पीढ़ियों को ईमानदार और दूरदर्शी नेतृत्व की प्रेरणा देता रहेगा।
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