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"एयर प्यूरीफायर पर GST घटाने की मांग, दिल्ली हाई कोर्ट की फटकार"

 24 Dec 2025

एयर प्यूरीफायर पर GST घटाने की मांग: दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर एक बार फिर न्यायपालिका ने सख्त रुख अपनाया है। राजधानी की बिगड़ती हवा पर सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को आड़े हाथों लिया। अदालत ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अगर सरकारें लोगों को साफ हवा उपलब्ध नहीं करा पा रही हैं, तो कम से कम उन्हें प्रदूषण से बचाव के साधनों को सस्ता बनाने पर विचार करना चाहिए। इस दौरान अदालत की टिप्पणी नीतिगत संवेदनशीलता और आम जनता की सेहत से जुड़े सवालों को सामने लाती है।


अदालत ने कहा कि प्रदूषण अब केवल पर्यावरण का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह सीधे तौर पर नागरिकों के जीवन और स्वास्थ्य से जुड़ा विषय बन चुका है। खासकर बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए यह स्थिति गंभीर होती जा रही है।

एयर प्यूरीफायर पर GST कम करने की मांग पर अदालत की कड़ी टिप्पणी


सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कहा कि वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सरकारें दीर्घकालिक योजनाओं की बात करती हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर राहत बेहद सीमित है। ऐसे में अदालत ने सवाल उठाया कि जब लोग अपनी सेहत बचाने के लिए एयर प्यूरीफायर जैसे उपकरणों का सहारा ले रहे हैं, तो उन पर उच्च कर क्यों लगाया जा रहा है।

एयर प्यूरीफायर पर GST घटाने की मांग: अदालत की टिप्पणी थी कि एयर प्यूरीफायर कोई विलासिता की वस्तु नहीं रह गए हैं, बल्कि कई परिवारों के लिए यह अब जरूरत बन चुके हैं। न्यायालय ने संकेत दिया कि कर ढांचे की समीक्षा कर आम लोगों को कुछ राहत दी जा सकती है। अदालत ने यह भी कहा कि नीतिगत फैसलों में जनस्वास्थ्य को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, न कि केवल राजस्व को।

दिल्ली में प्रदूषण की गंभीर स्थिति


दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता लंबे समय से चिंता का विषय बनी हुई है। सर्दियों के मौसम में हालात और खराब हो जाते हैं, जब धुंध, धुआं और जहरीली गैसें हवा में घुल जाती हैं। कई बार एयर क्वालिटी इंडेक्स खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है, जिससे स्कूलों को बंद करना पड़ता है और लोगों को घरों में रहने की सलाह दी जाती है।

चिकित्सकों के अनुसार, खराब हवा के कारण सांस की बीमारियां, आंखों में जलन, एलर्जी और हृदय संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। अदालत ने भी इस तथ्य को स्वीकार किया कि प्रदूषण के प्रभाव अब अल्पकालिक नहीं, बल्कि दीर्घकालिक स्वास्थ्य संकट का रूप ले चुके हैं।

सरकार से जवाब और भविष्य की उम्मीद


दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में सरकार से स्पष्ट रुख अपनाने को कहा है। अदालत ने संकेत दिया कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए केवल आपातकालीन उपाय पर्याप्त नहीं हैं, बल्कि नीतिगत स्तर पर ठोस और व्यावहारिक फैसलों की जरूरत है। सुनवाई के दौरान यह भी कहा गया कि नागरिकों को राहत देने के विकल्पों पर गंभीरता से विचार होना चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि अदालत की यह टिप्पणी सरकार पर दबाव बढ़ा सकती है। अगर नीतिगत बदलाव होते हैं, तो आम लोगों को राहत मिल सकती है और प्रदूषण से बचाव के उपाय अधिक सुलभ हो सकते हैं।

कुल मिलाकर, दिल्ली हाई कोर्ट की यह फटकार केवल एक टिप्पणी नहीं, बल्कि एक चेतावनी है। यह संकेत है कि वायु प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दे पर अब टालमटोल की गुंजाइश नहीं है। यदि सरकारें समय रहते ठोस कदम उठाती हैं, तो राजधानी के लोगों को भविष्य में कुछ राहत मिलने की उम्मीद की जा सकती है।