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बांग्लादेश में भारतीय छात्र: मेडिकल छात्रों की सुरक्षा को लेकर मोदी से गुहार।
23 Dec 2025
बांग्लादेश में भारतीय छात्र की स्थिति इन दिनों चिंता का विषय बन गई है। खासतौर पर मेडिकल कोर्स कर रहे भारतीय छात्रों के सामने सुरक्षा, भय और अनिश्चितता जैसी परिस्थितियाँ उत्पन्न हो रही हैं, जिसके कारण ऑल इंडिया मेडिकल स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AIMSA) और अन्य छात्र संगठनों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से तत्काल हस्तक्षेप की अपील की है।
AIMSA ने केंद्र सरकार से भारतीय छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, उनके परिवारों को सही जानकारी देने और जरूरत पड़े तो सुरक्षित वापसी की व्यवस्था करने का अनुरोध किया है। इस बीच जम्मू‑कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन ने भी छात्रों के समर्थन में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि इस संकट को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।
बांग्लादेश में भारतीय छात्र की सुरक्षा को लेकर सरकार से अपील
ऑल इंडिया मेडिकल स्टूडेंट्स एसोसिएशन (AIMSA) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि बांग्लादेश में भारतीय छात्र वर्तमान में असुरक्षित परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं और वे भय, चिंता तथा मानसिक तनाव में हैं।
AIMSA ने अपने पत्र में बताया कि हाल के राजनीतिक तनाव और घटनाओं के बीच छात्रों तथा उनके परिवारों के पास निरंतर “भयानक और तनावपूर्ण” संदेश पहुँच रहे हैं, जिससे छात्रों की स्थिति और कठिन हो गई है। संगठन ने भारत सरकार से तत्काल कूटनीतिक कदम उठाने और सुरक्षा बनाए रखने का आग्रह किया है।
पत्र में AIMSA ने तीन मुख्य बिंदुओं पर जोर दिया है:
- छात्रों को भौतिक सुरक्षा प्रदान करना।
- भारतीय मिशन तथा दूतावास के माध्यम से सहायता को मजबूत करना।
- छात्रों तथा उनके परिवारों के साथ समयबद्ध और स्पष्ट संवाद स्थापित करना ताकि अफवाहों से बचा जा सके।
AIMSA ने इसे एक “शीर्ष‑प्राथमिकता आपात स्थिति” बताते हुए उल्लेख किया कि सरकार को बिना देरी किये हस्तक्षेप करना चाहिए, क्योंकि छात्रों के जीवन, सम्मान और भविष्य पर सीधा असर हो सकता है।
बांग्लादेश में हालात और छात्रों की चिंता
बांग्लादेश में राजनीतिक तनाव, विरोध प्रदर्शन और सामाजिक अस्थिरता ने वहां अध्ययनरत छात्रों में भय और चिंता उत्पन्न कर दी है। खासकर धर्मनिरपेक्ष और शिक्षा‑सम्बंधित विवादों के बीच रहने वाले बांग्लादेश में भारतीय छात्र को खुद को असुरक्षित महसूस हो रहा है। टाइम्स ऑफ इंडिया समेत कई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, छात्र संगठन ने बताया है कि बेरोक‑टोक घूमने में भी छात्रों को डर लगता है और बहुत से छात्रों को अपनी पहचान छिपाने की सलाह भी दी जा रही है ताकि वे किसी अप्रिय घटना से बच सकें।
जम्मू और कश्मीर स्टूडेंट्स एसोसिएशन (JKSA) के राष्ट्रीय संयोजक नसीर खुहेमी का कहना है कि लगभग 9,000 भारतीय छात्र बांग्लादेश के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में पढ़ रहे हैं, जिनमें से करीब 4,000 छात्र कश्मीर घाटी से हैं। उन्होंने कहा है कि कई छात्र होस्टल या आवास में सीमित होकर रह रहे हैं और अब उनके परिवार भारत में चिंता के वातावरण में जी रहे हैं।
JKSA ने आग्रह किया है कि यदि स्थिति और बिगड़ती है तो छात्रों को सुरक्षित रूप से भारत वापस लौटाने के उपाय किए जाने चाहिए। परिस्थिति की गंभीरता को देखते हुए दोनों संगठनों ने स्पष्ट किया है कि छात्र अपनी पढ़ाई जारी रखना चाहते हैं, लेकिन वर्तमान अस्थिर माहौल उनके लिए अत्यंत चुनौतीपूर्ण और डरावना है।
सरकार की प्रतिक्रिया और भविष्य की दिशा
AIMSA और JKSA जैसी छात्र संगठनों की अपील के बाद अब भारत सरकार से यह उम्मीद की जा रही है कि वह बांग्लादेश में भारतीय छात्र के मुद्दे को विदेश मंत्रालय और उच्चायोग के स्तर पर गंभीरता से उठाएगी। विशेषज्ञों का मानना है कि कूटनीतिक प्रयासों के साथ‑साथ छात्रों तथा परिवारों को सटीक और समयबद्ध जानकारी प्रदान करना भी महत्वपूर्ण है ताकि भय, गलतफहमियाँ और अफवाहें फैलने से रोकी जा सकें।
सरकार ने अभी तक इस मामले में कोई विस्तृत बयान नहीं दिया है, लेकिन जैसाकि छात्र संगठनों और मीडिया रिपोर्टों से जाहिर है, यह मुद्दा केंद्रीय नेतृत्व द्वारा प्राथमिकता पर रखा गया है। यदि स्थिति अधिक बिगड़ती है, तो यह भी संभव है कि भारतीय मिशन छात्रों की सुरक्षा के लिए विशेष कदम उठाए, जिनमें सुरक्षित प्रत्यक्ष सहायता या सुरक्षित निकासी की व्यवस्था शामिल हो सकती है।
इसके साथ ही राजनीतिक तथा सामाजिक दृष्टिकोण से भी यह संदेश जाता है कि भारतीय छात्रों का मनोबल और कल्याण सरकार के लिए महत्वपूर्ण है और अंतरराष्ट्रीय शैक्षणिक सहयोगों तथा द्विपक्षीय संबंधों के बीच यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि छात्रों का शिक्षा‑संबंधित अनुभव सुरक्षित और सकारात्मक रहे।
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