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नक्सली हमले को लेकर नड्डा के बड़े दावे के बाद राजनीतिक बहस फिर से तेज हो गई है।
23 Dec 2025
भारतीय राजनीति में एक बार फिर 2013 के नक्सली हमले को लेकर बहस तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि उस समय पार्टी के अंदरूनी लोगों की लापरवाही और कथित चूक के कारण कई वरिष्ठ नेताओं की जान गई थी। जेपी नड्डा का बयान के सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है और कांग्रेस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
क्या था 2013 का नक्सली हमला?
2013 में छत्तीसगढ़ में हुए भीषण नक्सली हमले में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मारे गए थे। यह हमला देश के सबसे घातक नक्सली हमलों में से एक माना जाता है। उस वक्त इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था और सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल उठे थे। अब, करीब एक दशक बाद, जेपी नड्डा का बयान के जरिए इस हमले को लेकर नए सिरे से राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए हैं।
जेपी नड्डा का आरोप
जेपी नड्डा ने दावा किया है कि कांग्रेस के अंदरूनी लोगों की भूमिका संदिग्ध थी और पार्टी नेतृत्व ने उस समय सुरक्षा को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई। उन्होंने कहा कि इस हमले से जुड़े कई तथ्य आज भी सामने नहीं लाए गए हैं और सच्चाई जनता के सामने आनी चाहिए। जेपी नड्डा का बयान के अनुसार, कांग्रेस की आंतरिक राजनीति और गुटबाजी ने उस समय हालात को और खराब बना दिया।
कांग्रेस की प्रतिक्रिया
नड्डा के बयान पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी नेताओं ने इसे राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश बताया है। कांग्रेस का कहना है कि नक्सली हमला एक राष्ट्रीय त्रासदी थी और इस पर राजनीति करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। पार्टी ने यह भी कहा कि जेपी नड्डा का बयान पीड़ित परिवारों के जख्मों को फिर से कुरेदने जैसा है।
राजनीतिक विश्लेषण
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनावी माहौल के बीच इस मुद्दे को उठाना रणनीतिक कदम हो सकता है। 2013 का नक्सली हमला आज भी संवेदनशील विषय है और इससे जुड़ी भावनाएं लोगों के मन में गहरी हैं। ऐसे में इस मुद्दे पर बयानबाज़ी राजनीतिक ध्रुवीकरण को और बढ़ा सकती है।
नक्सलवाद और सुरक्षा पर सवाल
इस विवाद ने एक बार फिर नक्सलवाद और आंतरिक सुरक्षा जैसे अहम मुद्दों को चर्चा में ला दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि राजनीतिक आरोपों से इतर, नक्सलवाद से निपटने के लिए ठोस नीति और समन्वित प्रयासों की जरूरत है। बीते वर्षों में सुरक्षा बलों ने नक्सल प्रभावित इलाकों में कई सफल अभियान चलाए हैं, लेकिन खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, जेपी नड्डा के बयान ने 2013 के नक्सली हमले को लेकर पुरानी यादों और सवालों को फिर से जीवित कर दिया है। जहां भाजपा कांग्रेस की जवाबदेही तय करने की बात कर रही है, वहीं कांग्रेस इसे राजनीति से प्रेरित आरोप बता रही है। सच्चाई जो भी हो, यह स्पष्ट है कि नक्सलवाद जैसे गंभीर मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाज़ी से ज्यादा जरूरी है राष्ट्रीय सुरक्षा और पीड़ितों के न्याय पर ध्यान केंद्रित करना।
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